Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर में 134 पुलिस अफसरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है. यह कार्रवाई जिले से तबादले के बाद भी केस का चार्ज नहीं सौंपने पर की गई है. एसएसपी राकेश कुमार के आदेश पर इन सभी पर एफआईआर दर्ज की गई है. इन पर आपराधिक विश्वासघात का आरोप है. ये सभी IO स्थानांतरण के बाद 943 आपराधिक मामलों की फाइलें अपने साथ ले गए है. जिसके कारण कई सालों से पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है. मुजफ्फरपुर के नगर थाना, सदर थाना, अहियापुर थाना, काजी मोहम्मदपुर थाना, ब्रह्मपुरा थाना, मनियारी थाना, मिठनपुरा थाना, बेला थाना और सिकंदरपुर थाना में इन सभी अफसरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
पुलिस अफसरों पर लगे है आपराधिक विश्वासघात का आरोप
मुजफ्फरपुर के आठों थाने में 943 केस आइओ के द्वारा चार्ज नहीं सौंपने के कारण लंबित चल रहा है. जानकारी के अनुसार कई आइओ ऐसे हैं, जिनका जिला से 10 साल पहले तबादला हो गया था. लेकिन, उनके द्वारा केस का चार्ज नहीं सौंपे जाने के कारण केस पेंडिंग चल रहा है. जिसके कारण अनुसंधान प्रभावित होने के साथ-साथ पीड़ित को न्याय मिलने में देरी हो रही है. मासिक अपराध समीक्षा बैठक के दौरान एसएसपी राकेश कुमार ने तबादले के बाद भी केस का चार्ज नहीं सौंपने वाले पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ काफी नाराजगी जाहिर की थी. थानेदारों का कहना था कि चार्ज सौंपने के लिए उनको कई बार सूचित किया गया है, लेकिन वे चार्ज नहीं सौंप रहे हैं. इसके बाद एसएसपी ने सभी थानेदारों को आदेश दिया था कि 24 घंटे के अंदर में सभी आइओ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करें.
मुजफ्फरपुर के इस थाने में हुआ बड़ा खुलासा
काजी मोहम्मदपुर थाने में 10 साल से ज्यादा पुराने मामलों की फाइलें लेकर गायब हुए कई IO को कई बार पत्र लिखकर केस फाइल वापस करने के लिए कहा गया, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया. इसके बाद काजीमोहम्मदपुर थाने में दारोगा भुनेश्वर सिंह, फुलजेंस कंडोलना, सरोज कुमार, गोपाल पांडेय , राधाशरण पाठक, देवेंद्र प्रसाद, रामाधार सिंह, देवेंद्र प्रसाद, रामाधार सिंह, विश्वनाथ झा, दिनेश महतो, सुनील कुमार व विजय कुमार सिंह शामिल है. वहीं अहियापुर थाने में दारोगा लुटावन राम, अमित कुमार, अतरुल इमाम समेत छह पुलिस पदाधिकारी है. वहीं ब्रह्मपरा थाने में दारोगा विद्यानंद, राजेश्वर प्रसाद राय , प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव समेत 27 पुलिस पदाधिकारी है. सदर थाने में 22 पुलिस पदाधिकारी पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इनमें से कई पदाधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं.
बिना जांच कैसे पूरी किए गए ट्रांसफर?
अहियापुर थाने में भी 10 साल से ज्यादा पुराने मामलों की फाइलें लेकर स्थानांतरित हो चुके छह IO के खिलाफ FIR दर्ज हुई है. जिन 134 IO पर 943 केस फाइल लेकर भागने का आरोप है, उनमें से ज्यादातर अब रिटायर हो चुके हैं. इन IO को स्थानांतरण के लिए NOC कैसे मिली, यह भी एक बड़ा सवाल है. बिना NOC के दूसरे जिले में इन्हें वेतन नहीं मिल सकता है. पेंशन और रिटायरमेंट के पैसे भी नहीं मिल सकता है. FIR होने के बाद NOC देने वाले थानेदार भी जांच के दायरे में आ गए हैं. क्योंकि उनके द्वारा NOC देने की वजह से ही मामलों की जांच प्रभावित हुई है.