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Bihar News: बाढ़ का खतरा टला, अब भीषण जल संकट की आहट, गांव-टोलों में सबसे ज्यादा परेशानी

मुजफ्फरपुर जिले के कटरा के यजुर पश्चिम, लखनपुर समेत कई पंचायतों और गांवों में पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है, जिससे निपटने के लिए पीएचईडी ने टैंकर भेजे हैं. सबसे ज्यादा समस्या उन गांवों और बस्तियों में है, जहां हर घर में नल का जल नहीं पहुंचता है.

Bihar News: मॉनसून के रूठ जाने से आषाढ़ के बाद अब सावन महीने में भी बारिश नहीं हो रही है. इससे मुजफ्फरपुर जिले में भीषण पेयजल संकट की आहट है. बागमती और बूढ़ी गंडक नदी में एक माह पहले तक पानी बढ़ने से बाढ़ का खतरा हो गया था. बारिश नहीं होने के कारण वह टल गया है. अब जिले में पेयजल संकट से निबटने को लेकर प्रशासनिक अधिकारी लगे हैं.

इन प्रखंडों में काफी नीचे गया भू-जल

जिले के कटरा, औराई, कांटी, सकरा, मुरौल सहित कई प्रखंडों से भू-जल स्तर के काफी नीचे जाने की शिकायत मिल रही है. इससे सामान्य चापाकल ने सूखने के कारण पानी देना बंद कर दिया है. कटरा के यजुआर पश्चिमी, लखनपुर सहित आसपास के कई पंचायत व गांवों में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण (पीएचइडी) को टैंकर भेज पानी की आपूर्ति कराना पड़ रहा है.

पीएचइडी भेज रही टैंकर

स्थानीय लोगों के अनुसार, पीएचइडी की तरफ से टैंकर भेजा गया है. हालांकि, पंचायत स्तर पर एक टैंकर है. इससे अभी परेशानी हो ही रही है. कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार का कहना है कि अधिकतर गांवों में नल-जल का पानी सप्लाई है. पंचायत के कुछ टोला व कस्बा है, जिसमें सप्लाई नहीं होने के कारण पानी की संकट हुई है. विभागीय स्तर पर टैंकर भेज समस्या का निदान कराने की कोशिश की जा रही है. बारिश होते ही स्थिति सामान्य हो जायेगी.

उम्मीद थी अच्छी बारिश की, उल्टा पड़ रहा मॉनसून

मॉनसून के दस्तक देने से पहले इस बार मौसम विभाग व सरकार की तरफ से भीषण बारिश यानी अनुमान से ज्यादा की उम्मीद थी. इसी के अनुसार नगर निकाय व जल संसाधन विभाग को तैयारी करने का आदेश दिया गया था. लेकिन, जब मॉनसून दस्तक दिया. तब उम्मीद उल्टा पड़ गया है. लगभग बीस दिन होने को हैं, जिले में एक बूंद बारिश नहीं हुई है. गांव के साथ-साथ शहर की स्थिति भी खराब हो गयी है. शहर में भू-जल स्तर 45 फुट के नीचे तक पहुंच गया है.

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खेतों में दरार, बोरिंग से धान में पटवन

वर्ष 2022 के बाद 2024 में मॉनसून के दगा देने के कारण किसानों की उमंगों पर पानी फिर गया है. 40-50 फीसदी किसान ऐसे हैं, जो बारिश के इंतजार में अब तक धान रोपनी नहीं कर पाये हैं. वहीं, जो लोग धन रोपनी कर चुके हैं. वे खेतों में दरार पड़ने के बाद बोरिंग से पानी का पटवन कर रहे हैं. ताकि, धान की फसल बर्बाद नहीं हो.

धान के साथ-साथ अन्य फसल भी लोग नहीं लगा पा रहे हैं. आषाढ़, सावन में बड़ी संख्या में लोग लीची, आम सहित अन्य फलदार पौधे लगाते हैं. वह भी इस बार बरसात नहीं होने के कारण बंद है. अभी तक जिले में 05 फीसदी भी पेड़-पौधे नहीं लगाए गए हैं. वन विभाग भी बारिश का इंतजार कर रहा है.

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