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मॉनसून फिर दगा दे रहा, 43 फीट नीचे गया शहरी क्षेत्र का भू-जल स्तर

मॉनसून के दगा देने के कारण किसानों की उमंगों पर पानी फिर गया है. 40-50 फीसदी किसान ऐसे हैं, जो बारिश के इंतजार में अब तक धान रोपनी नहीं कर पाये हैं.

मॉनसून के दौरान भी बारिश नहीं होने से शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक में पेयजल संकट गहरा गया है. लगातार पड़ रही तपिश भरी धूप व गर्मी के कारण एक पखवाड़े के भीतर जिले का भू-जल स्तर तेजी से गिरा है. पहले की तुलना में दो से चार फुट तक जल स्तर अचानक नीचे चला गया है.

इससे शहर से लेकर गांव में जो सबमर्सिबल व जलापूर्ति पंप लगे हैं. वह भी पानी खींचने में हांफने लगा है. जल स्तर किस कद नीचे गया है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में घर की छत पर लगी पानी की टंकी जो 10 मिनट में भरता था. वह अब 20-25 मिनट में भर रही है. जिले में सामान्य से 18-20 फुट तक भू-जल स्तर नीचे चला गया है.

सबसे ज्यादा 43 फुट नीचे शहरी क्षेत्र की बूढ़ी गंडक नदी से सटे इलाके का जलस्तर चला गया है. जबकि, इन इलाकों में 22-25 फुट तक भू-जल स्तर रहना सामान्य माना जाता है. शहर के बाकी हिस्से में न्यूनतम 32, 33 व अधिकतम 43 फुट तक जल स्तर नीचे चला गया है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्र की बात करें, तो सकरा, मुरौल, औराई, कटरा, बोचहां, कांटी में सबसे ज्यादा पानी संकट देखने को मिल रहा है.

चापाकल सूखने के साथ खेतों की सिंचाई तक प्रभावित होने लगा है. पब्लिक की शिकायतें भी जल संकट को लेकर खूब पीएचइडी व जिला प्रशासन की तरफ से जारी हेल्पलाइन नंबर पर मिल रही है. बता दें कि दो साल पहले वर्ष 2022 में भी इस तरीके की समस्या जुलाई महीने में बारिश नहीं होने के कारण हो गयी थी. तब धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा था.

खेतों में दरार, धान की फसल हो रही बर्बाद
वर्ष 2022 के बाद 2024 में मॉनसून के दगा देने के कारण किसानों की उमंगों पर पानी फिर गया है. 40-50 फीसदी किसान ऐसे हैं, जो बारिश के इंतजार में अब तक धान रोपनी नहीं कर पाये हैं. वहीं, जो लोग धन रोपनी कर चुके हैं. वे खेतों में दरार पड़ने के बाद बोरिंग से पानी का पटवन कर रहे हैं. ताकि, धान की फसल बर्बाद नहीं हो. धान के साथ-साथ अन्य फसल भी लोग नहीं लगा पा रहे हैं. आषाढ़, सावन में बड़ी संख्या में लोग लीची, आम सहित अन्य फलदार पौधे लगाते हैं. वह भी इस बार बरसात नहीं होने के कारण बंद है. अभी तक जिले में 05 फीसदी भी पेड़-पौधे नहीं लगाए गए हैं. वन विभाग भी बारिश का इंतजार कर रहा है.

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