अनुज शर्मा, मुजफ्फरपुर
Lok Sabha Election 2024 ” ग्रहों के बदलने की प्रतीक्षा, कब तक करे कोई ? जनम फिर हो न हो ? इससे उन्होंने दल बदल डाला! ” राजनीतिक महत्वाकांक्षा को लेकर मदनलाल डागा का यह शेर लोकसभा सीट मुजफ्फरपुर पर चरितार्थ हो रहा है. मुजफ्फरपुर संसदीय सीट पर खिलाड़ी वही हैं. बस कबड्डी के खेल की तरह खिलाड़ियों का पाला बदल गया है. 2014 , 2019 में भाजपा की टिकट पर लोकसभा जाने वाले अजय निषाद कांग्रेस के उम्मीदवार बन गये हैं. भारतीय जनता पार्टी ने 2019 में भाजपा के हाथों हारे डॉ राजभूषण चौधरी निषाद को पहले ही उम्मीदवार बना चुकी थी. राजभूषण 2019 में मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी ) की टिकट पर चुनाव लड़े थे.
लोहा से लोहे काटने की रणनीति
लोहा ही लोहे को काटता है. इसी सिद्धांत पर भाजपा और कांग्रेस ने इस सीट पर टिकट दिया है. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने एक सर्वे कराया था, उसमें अजय निषाद की जीत को लेकर नेगेटिव रिपोर्ट मिली थी. प्रदेश नेतृत्व से दूरी भी टिकट कटने का एक कारण बना ऐसा माना जा रहा है. नाराज सांसद ‘ कमल खिलने में बाधक न बन सकें. मल्लाह समाज नाराज भी न रहे, इसके लिए भाजपा उन राजभूषण को उम्मीदवार बनाती है, जिनको पार्टी खुद अजय निषाद लाये थे.
यही फार्मूला अपनाकर 2014 में कांग्रेस ने पार्टी प्रत्याशी अखिलेश सिंह को हरानेवाले बागी अजय निषाद को उम्मीदवार बना दिया है. कांग्रेस 1984 के बाद यहां कभी नहीं जीती. उसको लगता है निषाद वोट बैंक और भाजपा से बगावत करने वाले के प्रति भाजपा कार्यकर्ताओं का झुकाव इंडी गठबंधन को मुजफ्फरपुर में जीत का रास्ता दिखा सकता है. संसदीय क्षेत्र में आनेवाली छह विधानसभा क्षेत्रों में नगर को छोड़ दिया जाये, तो अन्य में निषाद समाज की संख्या अच्छी खासी है.
जातिगत समीकरण, सरनेम से समझिए वोटों का गणित
8 लाख 77 हजार 887 महिला वोटर वाले मुजफ्फरपुर संसदीय क्षेत्र में कुल वोटर संख्या करीब 18 लाख 58 हजार 538 है. यहां सवर्ण मतदाता साढ़े तीन लाख, यादव पौने दो लाख, मुस्लिम दो लाख और वैश्य सवा दो लाख आंके जाते हैं. मल्लाह समाज की गिनती भी डेढ़ से दो लाख के बीच मानी जाती है. अन्य पिछड़ी जातियां अलग हैं. वोटर लिस्ट का सरनेम के आधार पर विश्लेषण करने वाली संस्था ‘ चाणक्य’ के अनुसार मुजफ्फरपुर संसदीय क्षेत्र में मुस्लिम सरनेम वाले 276499 वोटर हैं. राय 151977, सिंह 146647, साह 126584, सहनी 122092, पासवान 105764, राम 97318, कुमार 93438 , महतो 91855, ठाकुर 79227, चौधरी 45009, दास 39694, झा 36607, शर्मा 32308, प्रसाद 31549, मांझी, मुसहर 26827, मंडल 23870 , पंडित 22666 , मिश्रा 21913 , भगत 16968 , गुप्ता 12769, देवी 12583 , यादव 11268 , बैठा 8168 , पांडे 7553 , सिन्हा 6604 , तिवारी 6371 , 6319 वोटर के नाम के पीछे रजक सरनेम लगा है.
चुनाव ‘निषाद परिवार’बनाम निषाद समाज में बदला
पांचवें चरण में 20 मई को जनता वोट देकर दोनों की किस्मत बंद कर देगी. चार जून को मुजफ्फरपुर का परिणाम पूरे देश के लिए एक उदाहरण बनेगा. कैसे? आइये समझते हैं. अजय निषाद पूर्व केंद्रीय मंत्री जय नारायण प्रसाद निषाद के पुत्र हैं. 2019 में अजय निषाद को करीब 659833 से वोट मिले थे. राजभूषण को करीब 4. 08 लाख वोटों से हराया था. राजभूषण को 254832 वोट मिले थे. 2024 में कांग्रेस के सिंबल पर लड़ रहे अजय निषाद की हार-जीत से तय होगा कि पार्टी बड़ी या उम्मीदवार ? वोटर निषाद समाज के साथ है या या एक निषाद परिवार के साथ है.
राजनीति के प्रतिमान भी बदलेंगे. सांसद बनने से पहले अजय निषाद राजद के टिकट पर कुढ़नी और भाजपा से साहिबगंज से विधानसभा चुनाव लड़ा था हालांकि वह जीते नहीं थे. 2019 संसदीय चुनाव में मुजफ्फरपुर संसदीय सीट पर कुल 61.1% मतदान हुआ था. इस सीट पर पांच बार सांसद रहे जार्ज फर्नांडीज के बाद ‘निषाद परिवार’( जय नारायण प्रसाद निषाद , अजय निषाद ) का यह किला बना हुआ है. अब देखना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में यह किला बरकरार रह पता है या नहीं.
एनडीए – इंडी गठबंधन की विधायकों की संख्या बराबर
क्रांतिकारी खुदीराम बोस, रामवृक्ष बेनीपुरी, देवकी नंदन खत्री और जानकी वल्लभ शास्त्री की स्थली रही इस लोकसभा सीट में छह विधान सभा सीट हैं. दो पर आरजेडी , दो पर बीजेपी, और एक-एक सीट पर जेडीयू-कांग्रेस का कब्जा है. मुजफ्फरपुर से कांग्रेस, गायघाट व बोचहां से राजद, औराई और कुढ़नी से बीजेपी के विधायक हैं. सकरा से जेडीयू विधायक हैं.