Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर में SKMCH में चल रही दीदी की रसोई ने एक साल में 48 लाख 83 हजार 389 रुपये की कमाई कर जीविका दीदियों को आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया है. इस रसोई का संचालन बोचहां की दीपमाला जीविका महिला विकास स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है.
रिपोर्ट कार्ड में उपलब्धियों की झलक
मुजफ्फरपुर के SKMCH में इस रसोई के एक साल पूरा होने पर गुरुवार को इसकी उपलब्धियों का रिपोर्ट कार्ड जारी किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, दीदी की रसोई की स्थापना में 30 लाख 53 हजार 870 रुपये खर्च हुए थे. इस दौरान कुल कारोबार तीन करोड़ सात लाख 66 हजार 500 रुपये का हुआ. जीएसटी के रूप में 15 लाख 38 हजार 389 रुपये का योगदान भी किया गया.
इस रसोई से 44 स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिला है. दीदियों ने न केवल आर्थिक स्वतंत्रता पाई, बल्कि ग्रामीण समाज को आत्मनिर्भर और प्रगतिशील बनाने में भी योगदान दिया. इस मॉडल को अब अन्य समूहों में भी लागू किया जा रहा है, जिससे अन्य महिलाएं भी प्रेरित हो सकें.
आत्मनिर्भरता की कहानी
डीपीएम अनीशा ने कहा, “यह एक सपना था जो अब साकार हुआ है. दीदी की रसोई ने बिहार सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाया है, जो सतत विकास और जमीनी स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है.” उन्होंने कहा कि दीदियों का कौशल विकास, टीमवर्क और समर्पण इस सफलता के प्रमुख आधार हैं.
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अन्य स्थानों पर भी दीदी की रसोई का विस्तार
दीदी की रसोई सदर अस्पताल और बेला स्थित बैग क्लस्टर में भी संचालित हो रही है. सदर अस्पताल में यह मरीजों, डॉक्टरों, स्टाफ, और आम लोगों के लिए भोजन उपलब्ध कराती है. बेला बैग क्लस्टर में कर्मियों के लिए नाश्ते और भोजन की सुविधा है. जीविका की योजना है कि इस मॉडल का विस्तार सभी सरकारी विभागों में किया जाए. अगले वर्ष तक कई विभागों में “दीदी की रसोई” शुरू की जाएगी, जिससे और अधिक महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा.