International Family Day: बदलते परिवेश में शहर तो क्या गांव में भी एकल परिवार का दौर शुरू हो चुका है. ऐसे परिवार में पति-पत्नी और बच्चे रहते हैं. माता-पिता किसी एक बेटे के साथ रहते हैं, जबकि अन्ये बेटों के परिवार में मां या पिता नहीं होते. आधुनिक जीवन शैली में इस कांसेप्ट के बाद भी कुछ ऐसे परिवार हैं, जो आज भी संयुक्त परिवार में रहते हैं और एक दूसरे सदस्यों की भावना का ख्याल रखते हैं.
मुजफ्फरपुर शहर में ऐसा ही एक परिवार गोला रोड स्थित सूरत देवी का है. इनके पति वैद्यनाथ प्रसाद गुप्ता का निधन हो चुका है. सूरत देवी के पांच बेटे हैं और पांचों बेटे का परिवार एक साथ रहता है. सूरत देवी के बड़े पुत्र मिथिलेश गुप्ता, शैलेश गुप्ता, सुरेश गुप्ता, राकेश गुप्ता और दिनेश गुप्ता अपनी पत्नी और बेटे-बेटियों के साथ एक ही घर में रहते हैं. इस परिवार में 30 सदस्य हैं. घर के सारे निर्णय सभी सदस्य आपसी सहमति से लेते हैं. मां का ख्याल पांचों बेटे और बहू रखती हैं. परिवार के कई बच्चे बाहर पढ़ रहे हैं, इनके अभिभावक सिर्फ इनके माता-पिता नहीं है, बल्कि चाचा-चाची भी हैं.
हर महीने जन्म दिन और पारिवारिक उत्सव
इस परिवार में हर महीने किसी का जन्मदिन या विवाह की वर्षगांठ आती है. परिवार के सभी सदस्य मिलकर पारिवारिक उत्सवों को मनाते हैं. इससे परिवार में हमेशा खुशी का माहौल रहता है. परिवार की बहू दिव्या गुप्ता कहती हैं कि संयुक्त परिवार में होने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि सभी लोग मिलकर रहते हैं. किसी को कोई समस्या हो तो सभी उसके समाधान के लिये आगे आ जाते हैं.
संयुक्त परिवार होने के कारण बेटे-बेटियों की देखरेख के लिये परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ती. बच्चे दिन भर चाचा-चाची के गोद में रहते हैं. संयुक्त परिवार में हमलोग बहुत खुश हैं. सभी एक दूसरे को सम्मान देते हैं. किसी काम के लिये बाहर के किसी व्यक्ति पर निर्भर नहीं होना होता है. हमारे परिवार की एकता हम सभी के लिये गौरव की बात हैं. हमलोग यह चाहते हैँ कि हमारी अगली पीढ़ी भी परिवार की इस परंपरा को बरकरार रखे.
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