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जल संकट के मुहाने पर उत्तर बिहार, 47 नदियों वाले पूर्वी चंपारण तक में सूखे चापाकल

कृषि रोड मैप को लेकर 2023 में वैज्ञानिक- विशेषज्ञों का पटना में जुटान हुआ था. इसमें आकलन किया गया था कि बिहार को 2050 तक 145048 मिलियन क्यूबिक मीटर  (एमसीएम) पानी की जरूरत होगी.

“अब समय आ गया है कि हम जल का संरक्षण करें. जल प्रदूषण को खत्म करने के लिए पूरी ताकत से जुट जाएं.  बिहार जल संकट की तरफ बढ़ता जा रहा है.  उत्तर बिहार के जिला मुजफ्फरपुर, चंपारण, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी और सीतामढ़ी इसके मुहाने पर खड़े हैं. ”  स्थिति यह है कि, दरभंगा के बेनीपुर, बिरौल, घनश्यामपुर, तारडीह, गौड़ाबौराम, अलीनगर प्रखंड में सबसे अधिक आर्सेनिक पाया गया है.

भूगर्भ जलस्तर छह फीट तीन इंच नीचे चला गया

समस्तीपुर के उजियारपुर प्रखंड में भूगर्भ जलस्तर छह फीट तीन इंच नीचे चला गया है.  यहां आर्सेनिक की मात्रा 800 पीपीबी  (प्रति बिलियन भाग) तक मिली है. पूर्वी चंपारण जिले में 47 नदियां गुजरती हैं. लेकिन  छौड़ादानो, रक्सौल, आदापुर तथा सदर क्षेत्र के ध्रुव लखौरा में  2023 की गर्मी में हाहाकार मचा था. जल स्तर गिरने से चापाकल तक सुख गये थे.  यही हाल रहा तो 2050 आते- आते जरूरत का आधा पानी भी नहीं मिलेगा.

 प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता घट रही है


बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष रहे अशोक कुमार घोष का कहना है कि बिहार में  प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता घट रही है. अशोक कुमार घोष की इस चिंता की पुष्टि बिहार सरकार के आंकड़े भी करते नजर आ रहे हैं. कृषि रोड मैप को लेकर 2023 में वैज्ञानिक- विशेषज्ञों का पटना में जुटान हुआ था. इसमें आकलन किया गया था कि बिहार को 2050 तक 145048 मिलियन क्यूबिक मीटर  (एमसीएम) पानी की जरूरत होगी. बिहार के पास अभी पानी की उपलब्धता 132175 एमसीएम है.  यानी वर्तमान जल स्तर को बनाए रखें तो भी 2050 आते- आते 12873 मिलियन क्यूबिक मीटर सतही जल कम पड़ जायेगा.

जल संरक्षण का वॉटर रिजार्च और जन जागरूकता ही विकल्प है

डॉ घोष के अनुसार जल संरक्षण, वॉटर रिजार्च और जन जागरूकता ही विकल्प है. जनभागीदारी के बिना यह संभव नहीं है. बिहार में जल स्रोत बढ़ती आबादी के लिहाज से कम हैं. ग्राउंड वाटर के दोहन की यह स्थिति रही तो कुछ दशक में हम गंभीर स्थिति में पहुंच जाएंगे.  दरभंगा सहित उत्तर बिहार के कई इलाकों की स्थिति और भी चिंताजनक है. कृषि विभाग की एक रिपोर्ट बताती है बीते 12 साल में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता 539 घन मीटर घट गई है.  साल 2011 में हर व्यक्ति के हिस्से में सतही जल 1594 घन मीटर था. साल 2023 आते- आते यह घटकर 1055 घन मीटर पर पहुंच गई है. साल 2050 तक यह 635 घन मीटर पर पहुंच जाएगी. एक घन मीटर में 1000 लीटर होते हैं.

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