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नालंदा में पटरी सहित गायब हो गयी बीबी लाइन की 53 किलोमीटर की खरबों की जमीन, बन गये मकान-दुकान व होटल

बीबी लाइन रेल रूट पर जब ट्रेन चला करती थी तब बख्तियारपुर से राजगीर के बीच हरनौत, भागन बिगहा, वेना, सोहयराय थाना, इतवारी बाजार, भरावपर, पुरानी दीपनगर थाना, सिलाव, राजगीर जैसे दो दर्जन से अधिक जगहों पर स्टेशन हुआ करते थे. इसमें कुछ को छोड़ सभी स्टेशनों के नामोनिशान मिट गये.

कंचन कुमार, बिहारशरीफ: नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ और बख्तियारपुर के बीच चलने वाली बीबी (बख्तियारपुर-बिहार) लाइट ट्रेन की जमीन पटरी समेत पूरी तरह से गायब हो गयी है. यह एक-दो वर्षों में नहीं हुआ, बल्कि 52 वर्षों में इस रेलखंड की जमीन धीरे-धीरे गायब होती गयी. बख्तियारपुर-बिहार लाइट रेलवे की शुरुआत 1903 में हुई थी. बिहारशरीफ और बख्तियारपुर के बीच 53 किलोमीटर के 25 फीट चौड़े इस रेलखंड पर 1970 तक लाइट ट्रेनें चलती थीं. कुछ वर्ष पहले तक इसका अवशेष भागन बिगहा, वेना, सोहसराय, दीपनगर, बिहारशरीफ के इतवारी बाजार जैसे क्षेत्रों में दिखता था. वे भी अब गायब हो गये हैं.

बन गये मकान-दुकान व होटल

इस रेल रूट पर जब ट्रेन चला करती थी तब बख्तियारपुर से राजगीर के बीच हरनौत, भागन बिगहा, वेना, सोहयराय थाना, इतवारी बाजार, भरावपर, पुरानी दीपनगर थाना, सिलाव, राजगीर जैसे दो दर्जन से अधिक जगहों पर स्टेशन हुआ करते थे. इसमें कुछ को छोड़ सभी स्टेशनों के नामोनिशान मिट गये. अब बीबी लाइट रेलखंड की सभी जमीन पर दुकान, मकान, होटल से लेकर बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें बन गयी हैं. कई जगहों पर जिला परिषद के मार्केट हैं, कुछ जमीन प्रशासन के पास है.

खरबों रुपये की थी बीबी लाइट रेलखंड की जमीन

बीबी लाइट रेलखंड बख्तियारपुर, हरनौत, बिहारशरीफ, सिलाव और राजगीर जैसे शहरों के बीचों बीच होकर गुजरती थी. इसकी जमीन की कीमत वर्तमान में खरबों रुपये आंकी जा रही है. वर्ष 1960 से 70 आते-आते इस रेलखंड के आसपास घनी आबादी बसने लगी. इस ट्रेन की कम स्पीड और सड़क मार्ग के धीरे-धीरे समृद्ध होने के कारण यात्री कम होते गये. बाद में बड़ी रेल लाइन की मांग उठने लगी. वर्ष 1972 में जिला बनने के बाद हरनौत, बिहारशरीफ, सिलाव, नालंदा, और राजगीर के लिए इस बीबी लाइट रेल खंड से काफी हटकर बड़ी रेल लाइन बनाने की पहल शुरू कर दी गयी.

1 जुलाई 1903 को चली थी पहली लाइट ट्रेन

सरकार की गजट के अनुसार 19 जुलाई 1901 को बीबी लाइट ट्रेन चलाने के लिए जिला प्रशासन (पटना) और कोलकाता की मेसर्स मार्टिन एंड कंपनी के साथ एग्रीमेंट हुआ था. एक जुलाई 1903 को बख्तियारपुर से बिहार (बिहारशरीफ) तक बीबी लाइट ट्रेन की शुरुआत हुई. वर्ष 1909 में इस रेलखंड का विस्तार सिलाव और वर्ष 1911 में राजगीर तक हो गया. मार्टिन कंपनी की देखरेख में 1970 तक बख्तियारपुर से राजगीर तक छोटी ट्रेन (लाइट ट्रेन) चलती रही. वर्ष 1972 में नालंदा जिला बना तब पटना जिला परिषद ने बीबी लाइट ट्रेन को नालंदा जिला परिषद को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी. कई वर्षों के बाद इसे नालंदा प्रशासन के हैंडओवर किया गया. इस दौरान भू-माफिया ने खेल शुरू कर दिया और धीरे-धीरे पूरे रेलखंड की जमीन ही गायब कर दी.

क्या कहते हैं अधिकारी 

नालंदा जिला परिषद के एडीएम -सह-कार्यपालक पदाधिकारी मंजीत कुमार कहते हैं कि बख्तियारपुर-बिहार लाइट (बीबी लाइट) रेलखंड के संबंध में कोई जानकारी नहीं है. इस संबंध में जल्द ही जानकारी ली जाएगी. इसके बाद रेलखंड की जमीन से संबंधित आगे की कार्रवाई पर विचार किया जाएगा.

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