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बिहार के इस जिले में घर बनाना हुआ महंगा, सात दिनों में 40 फीसदी बढ़ गए ईंट और बालू के दाम

मॉनसून की शुरुआत के बाद से बिहार के नालंदा सहित कई जिलों में ईंट-बालू की कीमतों में इजाफा हुआ है. नालंदा में ईंट-बालू के दाम में एक सप्ताह में 40 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा मकान बनने के लिए उपयोग किए जाने वाली अन्य सामानों की कीमतों में भी उछाल आया है. जानिए नालंदा जिले के लेटेस्ट रेट

Bihar News: नालंदा जिले में पिछले एक सप्ताह में ईंट-बालू के दाम में 20 से 40 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है. बारिश शुरू होने के बाद से लगातार ईंट-बालू के दामों में तेजी आ रही है. पिछले सात दिनों में ईंट 1000 से 1500 रुपये प्रति ट्रैक्टर और बालू 1000 से 2000 रुपये प्रति ट्रैक्टर महंगा हो गया है. अन्य निर्माण सामग्री की कीमत में भी मामूली बढ़ोतरी हुई है. अधूरे मकान और भवन को पूरा करने में सबसे बड़ी समस्या राजमिस्त्री और मजदूरों को लेकर है. भवन-मकान बनाने में लगे मिस्त्री व मजदूर बारिश होने के बाद से काम छोड़कर अपने-अपने खेती-बाड़ी में लग गये हैं. इस कारण भवन और मकान का निर्माण कार्य प्रभावित होने लगा है.

चिमनी भट्ठों में ईंट निर्माण का काम भी ठप

बारिश के बाद चिमनी भट्ठों में ईंट निर्माण का काम भी ठप हो गया है. अधिकांश चिमनी भट्ठों में बारिश का पानी जम गया है. इसके साथ ही बालू खनन का काम भी ठप हो गया है. इसका फायदा कई धंधेबाजों ने उठाना शुरू कर दिया है. उन्होंने सड़क और नदियों के किनारे बालू का ढेर लगा दिया है. लोगों की मांग के अनुसार मनमाने दामों पर बालू बेचना शुरू कर दिया है. जो बालू एक सप्ताह पहले 4500 से 5000 रुपये प्रति ट्रैक्टर मिल रहा था, वह वर्तमान में 6000 से 6500 रुपये में बिक रहा है. इससे निजी मकान और दुकान के साथ-साथ सरकारी पुल व भवन बनाने वालों को परेशानी हो रही है.

निर्माणाधीन मकानों के मालिक ऊंची कीमत देकर भी बालू और ईंट खरीदने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनके आधे-अधूरे मकान समय पर पूरे हो सकें. फिलहाल राजमिस्त्री और मजदूर मनमानी कीमत देकर भी पहले खेती का काम करने की बात कह रहे हैं.

दिसंबर से जनवरी के बीच में शुरू होगा चिमनी-भट्ठा

बारिश के बाद अधिकांश चिमनी भट्ठों में पानी भर गया है. इसके अलावा मिट्टी, बालू, कोयला और मजदूरों की परेशानी बढ़ गई है. इस कारण जिले के सभी 241 चिमनी भट्ठों पर ईंट निर्माण का काम बंद हो गया है. बारिश के बाद दिसंबर से जनवरी के बीच चिमनी भट्ठों पर फिर से ईंट निर्माण का काम शुरू होने की उम्मीद है. परवलपुर के मुर्गावां के राधा चिमनी भट्ठा के संचालक कुमार रंजन कहते हैं कि बारिश के कारण ईंट निर्माण की सामग्री के साथ मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं. चिमनी पर ईंट हैं ही नहीं. इसलिए अधिक कीमत पर बेचने का सवाल ही नहीं उठता. कुछ ग्राहकों से एडवांस पैसा लिया गया है, जिनकी चिमनी पर ईंट लगी है.

कुमार रंजन बताते हैं कि बरसात से पूरा चिमनी में पानी जम गया है, जिसे निकालने के लिए कई दिनों से पंप सेट लगाये हुए हैं. बावजूद पानी निकलने का आसार नहीं दिख रहा है. गिरियक के विजय गोप बताते हैं कि लाखों रुपये निर्माणाधीन कच्ची ईंट पानी से बर्बाद हो गयी है. भट्ठे में पकने के लिए तैयार किये गये ईंटों के साथ कोयला व अन्य सामग्रियां भी खराब हो गयी है. चिमनी भट्ठा में जमा पानी जितना निकालते हैं, उससे अधिक आसपास के खेतों से पानी जम जाता है.

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खुदरा निर्माण सामाग्री का रेट

  • निर्माण सामाग्री- वर्तमान कीमत
  • ईंट एक नंबर – 11500 से 12500 रुपये प्रति ट्रैक्टर
  • बालू मोटा – 6000 से 6500 रुपये प्रति ट्रैक्टर
  • गिट्टी मोटा – 6500 से 7000 रुपये प्रति ट्रैक्टर (100 मन)
  • सीमेंट – 350 से 450 रुपये प्रति पैकेट
  • लोहा सरिया – 6000 से 6500 रुपये प्रति क्विंटल
  • मजदूर – 350 से 400 रुपये प्रति दिन
  • राजमिस्त्री – 550 से 600 रुपये प्रतिदिन

नोट- जिले के पूर्वी इलाकों में बालू और ईंट की कीमत पश्चिमी इलाकों की अपेक्षा कम है. यानी इस्लामपुर, बेन, परवलपुर, एकंगरसराय आदि इलाकों में बरबीघा, सरमेरा, बिंद इलाकों की अपेक्षा बालू और ईंट अधिक कीमत पर बिक रही है. इसके अलावा माल उठाव क्षेत्र से दूरी और उसकी गुणवत्ता के अनुसार भी कीमत में उतार-चढ़ाव होता रहता है.

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