Navratri 2022: इस बार शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से शुरू हो रहा है. पहले दिन कलश स्थापना कर मां की पूजा शुरू की जायेगी. कलश स्थापना ब्रह्म मुहूर्त से लेकर सूर्यास्त तक की जायेगी़ लेकिन मां की प्रतिमा स्थापित करने वाले भक्तों के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.36 से दोपहर 12.24 तक है. पुरोहितों की मानें तो इस शुभ मुहूर्त में पूजन करने से घर में सुख, शांति, धन और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है. साथ ही मां भगवती भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं. पं. प्रभात मिश्रा ने कहा कि इस बार माता का आगमन और गमन दोनों हाथी पर हो रहा है. यह भी शुभ है और अच्छी वृष्टि का संकेत है. शारदीय नवरात्र के नौ दिनों में मां नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जायेगी.
इस वर्ष किसी भी तिथि का क्षय नहीं है. अर्थात नौ दिन शक्ति की देवी की आराधना की जायेगी. दसवें दिन विजया दशमी एवं अपराजिता पूजन के साथ नवरात्र अनुष्ठान संपन्न होगा. भगवती का पट पत्रिका प्रवेश पूजन के साथ दो अक्तूबर के पूर्वाह्न में खुल जायेगा. चार अक्तूबर तक माता का दर्शन-पूजन श्रद्धालु करेंगे. पांच को प्रतिमा का विसर्जन होगा. झा ने बताया कि इस वर्ष विल्वाभिमंत्रण एक अक्तूबर को होगा. यह सांयकाल प्रदोष काल में होता है. सामान्य रूप से शाम पांच से सात बजे के बीच इसे संपन्न कर लेना चाहिए. इसके अगले दिन बेलतोड़ी एवं पत्रिका प्रवेश पूजन की तिथि है.
प्रतिपदा: 26 सितंबर की सुबह 3.25 से रात्रि 3.22 तक
द्वितीया: 27 सितंबर की रात्रि 2.51 तक
तृतीया: 28 सितंबर की रात्रि 1.49 तक
चतुर्थी: 29 सितंबर की रात्रि 12.24 तक
पंचमी: 30 सितंबर की रात्रि 10.39 तक
षष्ठी: 01 अक्तूबर की रात्रि 8.36 तक
सप्तमी: 02 अक्तूबर की शाम 6.21 तक
अष्टमी: 03 अक्तूबर की दोपहर 3.59 तक
नवमी: 04 अक्तूबर की दोपहर 1.33 तक
दशमी:05 अक्तूबर की सुबह 11.19 तक