Navratri 2022: लकड़ीढाई दुर्गा पूजा में इस बार 40 फुट का पंडाल बनेगा, जिसके बीच में एक गुंबज होगा और उस पर एक बड़ा-सा तिरंगा लगा रहेगा. पूजा पंडाल का थीम आजादी का अमृत महोत्सव पर रखा गया है. पंडाल परिसर स्थित दुर्गा मंदिर में मां की प्रतिमा स्थापित की जायेगी. मां की पूजा बांग्ला विधि से होगी. यहां तीन रंग-बिरंगे बल्बों से सजा तीन तोरण द्वार भी बनाये जा रहे हैं. करीब 300 मीटर की दूरी पर पहला तोरण द्वार होगा. इस द्वार से प्रवेश करने के साथ ही रोशनी की झिलमिल फुहारों से होते हुए भक्त मां के दरबार तक पहुंचेंगे.
पूजा समिति से जुड़े पवन कुमार राम ने कहा कि यहां 1953 से मां की पूजा हो रही है. मंदिर के प्रेम कुमार सहनी के पूर्वजों ने यहां पूजा की शुरुआत की थी. तबसे यह परंपरा चली आ रही है. मां का विसर्जन दसवीं के दूसरे दिन होगा. प्रशासन की इजाजत मिली तो विसर्जन के समय करीब 100 पहलवान जगह-जगह पर अखाड़ा खेलते हुए चलेंगे. पवन कुमार राम ने कहा कि पूजा समिति से करीब 100 युवा जुड़े हुए हैं. वे दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. इस बार की पूजा भव्य तरीके से हो, इसकी तैयारी की जा रही है. पिछले दो साल काेरोना के कारण पूजा की परंपरा का निर्वाह किया गया, लेकिन इस बार हमलोग भव्य तरीके से पूजा कर रहे हैं. मां के दर्शन करने वालों को यहां का पंडाल और तोरण द्वार आकर्षित करेगा.
मां के दरबार में आने वाले भक्तों के लिए प्रसाद और भोग की व्यवस्था की गयी है. आयोजन समिति के द्वारा बताया गया कि अष्टमी और नवमी को बंगला विधि से मां की पूजा के बाद विशेष मंत्रों के साथ मां प्रिय भोग का अर्पण किया जाएगा. समय पर पंडाल में आने वालों को मां के भक्तों को ये भोग प्राप्त होगा.