नवरात्रि 26 सितंबर दिन सोमवार से शुरू हो रहा है. इस बार मां दुर्गा के आगमन हाथी की सवारी पर हो रही है. जब मां दुर्गा के आगमन हाथी की सवारी पर होती है तो इसे शुभ माना जाता है. वहीं, इस बार मां दुर्गा का प्रस्थान चणायुध अर्थात मुर्गा पर होगा. जब मां दुर्गा का प्रस्थान मुर्गा पर होता है तो इसे अशुभ माना गया है. इस बार नवरात्रि की शुरुआत शुभ माना जा रहा है तो वहीं, नवरात्रि की समाप्ति अशुभ का संकेत दे रहा है. मां दुर्गा के आगमन व प्रस्थान से ही आगामी वर्ष में आम जनता और राजनीति में होने वाली उथल-पुथल देश में घटित होने वाली घटनाओं का फलादेश निकाला जा सकता हैं.
डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने बताया इस बार शारदीय नवरात्र कलश स्थापना अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा सोमवार को होने के कारण शास्त्रों में मां दुर्गा का आगमन ‘गज’ पर हो रहा है, जिसका फल शुभ होता है. विजय दशमी इस बार 5 अक्टूबर को हैं, इसके चलते मां दुर्गा मुर्गा पर सवार होकर लौटेंगी. जिसका फल अशुभ होता हैं. मां दुर्गा अपने पूरे परिवार के साथ हाथी पर सवार होकर आ रही है, जो अच्छी बारिश का संकेत है. इससे किसानों में खुशहाली आएगी और देश में समृद्धि बढ़ेगी. वही प्रस्थान जन मानस में विकलता का संकेत है.
शारदीय नवरात्र से आगामी वर्ष प्रजा व शासक वर्ग के लिए कैसा होगा, इसका फलादेश निकाला जाता है. नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान ‘वार’ ( दिन ) से जुड़ी हुई है. आगमन यानि घट स्थापना यदि रविवार या सोमवार को नवरात्र प्रारंभ होती हैं तो मां दुर्गा हाथी पर, शनिवार या मंगलवार को घोड़े पर, गुरुवार या शुक्रवार को डोला पर और बुधवार को प्रारंभ होने पर मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आती हैं.
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अगर मां दुर्गा के आगमन गज (हाथी) पर होता है तो पानी की बढ़ोतरी, घोड़ा पर आना, युद्ध की आशंका, नौका पर आने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. डोली पर आने से आक्रांत रोग, मृत्यु का भय बना रहता हैं. वहीं, प्रस्थान रविवार व सोमवार को विजयादशमी होती हैं तो मां दुर्गा भैंसा पर, शनिवार व मंगलवार को मुर्गा पर, बुधवार व शुक्रवार को गज पर और गुरुवार को नर वाहन पर प्रस्थान करती हैं.