नवादा नगर. शहर में देवोत्थान एकादशी से शादियों का सीजन शुरू हो चुका है. लंबे ब्रेक के बाद शादियों का सिलसिला शुरू हुआ है. यह मौसम छह महीनों तक रहेगा. देवउठनी एकादशी के अभिजीत मुहूर्त में शादियों का संयोग बन रहा है. शास्त्रों में इस दिन का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है. हिंदू धर्म में शादियों का शुभ मुहूर्त भी शुरू हो गया है. 12 नवंबर से 16 दिसंबर तक वैवाहिक कार्यक्रम होंगे. इसके लिए कपड़े और दूल्हे के मौर व पगड़ी हर डिजाइन के बाजार में उपलब्ध हो गये हैं. फूल मंडी के सन्नी फ्लावर मौर और पगड़ी बिक्रेता ने बताया कि लगन को लेकर मौर पांच सौ से लेकर पांच हजार रुपये तक और दूल्हे की पगड़ी एक सौ 50 से लेकर छह हजार रुपये तक उपलब्ध है. श्यामा ब्यूटी पार्लर की संचालिका श्याम रानी ने बताया कि लगन शुरू होते ही दुल्हन सजाने के लिए हमारे प्रतिष्ठान में अपने अभिभावक के साथ दुल्हन आ रही है, एक दुल्हन को सजाने में पांच से छह हजार की खर्च आता है. बैंड बाजे की हो रही बुकिंग बैंड बाजे वाले भी इसकी पूरी तरह से तैयारी कर रखी है. मुस्कान बैंड के रंजन कुमार ने बताया कि बैंड के लिए कारीगरों को बुलाया गया. दो शिफ्ट में बैंड की बुकिंग चल रही है. बैंड बाजे की बुकिंग 35 हजार से एक लाख रुपये तक की जा रही है. इसमें बैंड के कारीगर के साथ सिंगर भी रहेगा. बैंक्वेट हॉल के संचालक महेंद्र कुमार ने बताया कि दिसम्बर महीने तक कि बुकिंग हो चुकी है. पूरा हॉल बुक है. एक बुकिंग का हमारे यहां 2 लाख 75 हजार से लेकर 3 लाख 75 हजार तक के रेट है. इधर, कपड़े की प्रतिष्ठान श्रीमान श्रीमती के संचालक मुकेश जैन ने बताया कि शादी विवाह शुरू हो गया है. हमारे यहां लगन को लेकर दूल्हे के लिए जॉनी एंड जेनी के शेरवानी चार हजार रुपये से लेकर छह रुपये तक और दुल्हन के लिए ब्राइडल व गर्लिश लहंगा नौ हजार से लेकर 20 हजार रुपये तक उपलब्ध हैं. इसके अलावा कोट, पैंट रेमंड कंपनी के वस्त्र ग्राहकों को देखते हुए मंगाया गया हैं, जो ग्राहकों को बहुत भा रहा है. इधर, शादी-विवाह को लेकर होटलों की भी बुकिंग की जा रही है. मांगलिक कार्य शुरू: देवउठान से ही देव निंद्रा से जागते हैं और इसी के साथ शादी-विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं. गोवर्धन मंदिर के पुजारी विजय पांडेय ने बताया कि चातुर्मास के समाप्त होने के बाद से ही शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो गया. देवउठनी एकादशी के बाद मुंडन, विवाह, गृह प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्यशुरू हो जाते हैं. देवउठनी एकादशी तिथि से चतुर्मास अवधि खत्म हो जाती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है