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धनतेरस पर कारोबार 100 करोड़ के पार

धनलक्ष्मी सुख-संपदा लेकर आयीं घर

नवादा नगर. धनतेरस पर मंगलवार को सुबह से ही बाजारों में भीड़ जुटने लगी. लोगों ने देर रात तक दुकानों में खरीदारी की. धनतेरस पर जिले में लगभग 100 करोड़ के कारोबार हुआ. धनतेरस पर लोगों ने बर्तन, सोना-चांदी, इलेक्ट्रॉनिक व मोबाइल व वाहनों की जमकर खरीदारी की. दोपहर बाद बाजार में ग्राहकों की काफी भीड़ उमड़ पड़ी. परंपरा के अनुसार धनतेरस पर झाडू खरीदना शुभ माना आता है. वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मांग काफी बढ़ गयी है. इसके अलावा गाड़ियों की खरीदारी का भी अलग क्रेज बन गया है. पौराणिक परंपरा के अनुसार, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन के दौरान अमृत का कलश लेकर धनवंतरी प्रकट हुए थे. इस वजह से इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन स्वास्थ्य रक्षा के लिए धनवंतरी देव की उपासना की जाती है. इस पर्व को कुबेर का दिन भी माना जाता है और धन संपदा के लिए कुबेर की पूजा की जाती है, धनतेरस को लेकर हर लोग अपनी हैसियत के हिसाब से खरीदारी करने जुटे हुए थे. किसी ने मंहगे समान की खरीददारी की, तो किसी ने झाड़ खरीदकर धनतेरस की परंपरा को निभा रहे थे. अनुमानित तौर पर कहा जा रहा है कि पूरे जिले में करीब 100 करोड़ से ऊपर कारोबार किया गया है. बाजार में सोने व हीरे के जेवरों की जमकर हुई खरीदारी विक्टोरिया के चिह्न वाले सोने-चांदी के सिक्कों की बिक्री हर साल रहती है. लेकिन, इस बार लोंगों ने जेवरों की खरीदारी भी खूब की. सोने व डायमंड की ज्वेलरी की खरीदारी की लेकर दुकानों में ग्राहकों की भीड़ लगी रही. सागरमल ज्वेलर्स में जेवरों की खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ देर शाम तक लगी रही. दुकानदार चेतन सुहासरिया ने बताया कि ग्राहकों की मांगों के अनुरूप फैंसी जेवरों के एक से बढ़ कर एक आभूषणों का संग्रह लोगों को आकर्षित किया है. भोला भाई ज्वेलर्स के संचालक भोला प्रसाद ने कहा कि सोने-चांदी के जेवरों के अलावा चांदी के सिक्कों की भी उन्नत वेराइटी के लिए लोग जुट रहे थे. उन्होंने बताया कि इस बार बबईया सिल्वर सिक्का मंगाया गया है. इसे लोगों ने खूब पसंद किया, श्री कृष्णा ज्वेलर्स के संचालक प्रिंस कुमार ने बताया कि इस बार दीपावली व छठ के तुरंत बाद लगन रहने से बाजार बेहतर रहा, लोगों ने धनतेरस की परंपरा को निभाते हुए शादी-विवाह के जेवरों की भी खरीदारी करने जुटे, चांदी की मूर्ति व बर्तन की भी खूब डिमांड रही. एसआर ज्वेलर्स के संचालक सरोज सुमन ने कहा कि डायमंड, गोल्ड के एडवांस रेंज इस बार लाया गया है. धनतेरस पर इसकी खासी डिमांड रही. गोल्ड व सिल्वर क्वाइन की भी मांग काफी रही. जेवरात महल के मुन्ना सर्राफा ने कहा कि ग्राहकों की पसंद को ध्यान में रखते हुए डिजायन मंगाये गये थे. इसकी खासी डिमांड रही. सोने व चांदी के जेवरों के खरीदारों को मंगाये गये डिजायन पसंद आये हैं. इलेक्ट्रॉनिक खरीदारों की रही भीड़: शहर के कई इलेक्ट्रॉनिक दुकानों में धनतेरस को लेकर ग्राहकों की भीड़ लगी रही. शहर के माथुर इलेक्ट्रॉनिक्स के संचालक सुबोध माथुर ने बताया कि जिर उम्मीद के साथ धनतेरस की तैयारी की गयी थी, उससे बेहतर रिजल्ट मिला है. सोनी, वर्लपूल व हायर आदि के होम प्रोडक्ट की खरीदारी करने में ग्राहक जुटे रहे, यहां उपकरणों की बिक्री के लिए ग्राहकों को किफायती दर पर बेच कर रिकॉर्ड कायम करने की होड़ मची रही. इसके बढ़ते क्रेज से लोगों को व्यवसाय में काफी राहत मिली है. बर्तन खरीद के लिए रही आपाधापी शहर के पुरानी बाजार ठठेरी गली में दर्जनों बर्तन दुकानों में दिनभर ग्राहकों की भीड़ लगी रही. देर शाम तक दुकानों में भीड़ थमने का नाम नहीं ले रहा था. कांसा पीतल और स्टील सहित फाइबर आदि के बर्तनों की खरीदारी जिस स्तर से लोगों ने की, उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि पूरे जिले में बर्तन का कारोबार करीब एक करोड़ से कम नहीं हुआ है. इस मंडी में फुटपाथ पर भी दर्जनों दुकाने लगी रहीं. हालात ऐसी थी कि ठठेरी गली में लोगों को पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा था. बर्तन कारोबारी अमर कुमार आदि कारोबारियों ने बताया कि आर्थिक मंदी के बाद भी ग्राहक अपनी परंपराओं को बरकरार रखते हुए देर रात तक खरीदारी करने में जुटे रहे. खूब बिकी झाड़ू झाड़ू से सफाई ही नहीं, बल्कि घरों की दरिद्रता को भी दूर की जाती है. जिले में करीब डेढ़ करोड़ से अधिक के झाड़ू बेचे जाने का आकलन किया गया है. इससे सभी कारोबारों पर झाडू का कारोबार भारी पड़ गया दुकानदार मुन्ना कुमार बताते है कि झाडू कई प्रकार के होते हैं, जिसमें नारियल झाडू, फूल झाडू, खजूर झाडू तथा कुच्चा झाडू शामिल है. नारियल झाड़ू बंगाल से मंगाया व फूल नेपाल के तराई व उत्तराखखंड से मंगाया गया है. इन जगहों से गया जिले के बड़े कारोबारी झाडू मंगाते हैं. वहां से नवादा के कारोबारी खरीद कर बेचते है. इसके अलावा खजूर व कुच्चा झाडू का निर्माण स्थानीय स्तर पर किया जाता है.

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