हिसुआ. बाढ़ के अछुआरा में राज्यस्तरीय मगही कवि सम्मेलन में नवादा जिले से आमंत्रित पांच कवि वरीय गीतकार नरेंद्र सिंह, व्यंग्यकार उदय भारती, अशोक समदर्शी, कृष्ण कुमार भट्टा, गौतम कुमार सरगम ने खूब वाह-वाही लूटी. खचाखच भरे हॉल में प्रदेश के जिलों के 40 कवियों का जुटान था. बिहार कोकिला पद्म भूषण शारदा सिन्हा की स्मृति में विकासशील समाज अध्ययन पीठ सीएसडीएस, नयी दिल्ली के तहत माउंट लिट्रा जी स्कूल के सौजन्य से संझाबाती पत्रिका के संयोजन में माउंट लिट्रा जी स्कूल में कार्यक्रम था. व्यंग्यकार उदय भारती ने ””जिनखर पुत बैठल हें जाके संसद आउ मंत्रालय में, जिनखर परचम लहर रहे हे सचिवालय आउ न्यायालय में उनखर मगही माय अभियो दरजा-दरजा रट रहलीं हें”” पंक्ति से मगही भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को मुखर किया. नरेंद्र सिंह ने ””कोय काहे हमरा लजैतै बिहरिया”” कह के ना से रंग जमा दिया. अशोक समदर्शी ने मगही गीत-गजल से तो कृष्ण कुमार और गौतम सरगम ने गीत से सबको मंत्रमुग्ध किया. अन्य कवियों के उन्हें मथुरा प्रसाद नवीन स्मृति सम्मान, बूके, शॉल, राशि आदि देकर सम्मानित किया गया. अध्यक्षता मगही अकादमी के पूर्व अध्यक्ष उदय शंकर शर्मा और संयोजन व संचालन संझाबाती पत्रिका के संपादक सह कवि-कथाकार हेमंत कुमार ने किया. पहले सत्र में ””मगही : कल्हे, आझे आउर बिहान ”” संगोष्ठी में मगही साहित्य और भाषा को सशक्त बनाने, अप्रकाशित पांडुलिपियों को प्रकाशित करने और इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की. दूसरे सत्र में आयोजित कवि-सम्मेलन में दूरदर्शन व आकाशवाणी के पूर्व उप निदेशक डॉ ओमप्रकाश जमुआर, उमेश प्रसाद उमेश, जयराम देवसपुरी, उमेश बहादुरपुरी, जयनंदन सिंह, डॉ नूतन सिंह, डॉ किरण कुमारी, कवि सुमंत, समुंदर सिंह, मणिकांत मनी, राजकिशोर उन्मुक्त, राजेंद्र राज, पृथ्वीराज पासवान, धनंजय श्रोत्रिय, संध्या साक्षी, विजय कुमार, दयाशंकर सिंह बेधड़क, आचार्य गोपाल आदि ने काव्य पाठ किया. अतिथि कमांडेंट ऑफिसर मुन्ना कुमार सिंह, रामकथावाचक जयराम जी महाराज, नाटककार बालमुकुंद शर्मा आदि मौजूद थे. राजेंद्र राज की मगही गजल पुस्तक कभी जउ ऊ मुस्कुराबे का विमोचन हुआ.
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