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बेंगलुरु की बैठक में तय होगा किसके पास होगी विपक्षी एकता की कमान, जानें नीतीश को लेकर क्या है लेटेस्ट अपडेट

Opposition Party Meeting बिहार की राजनीतिक गलियारे में इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार की भूमिका क्या होगी?

राजधानी पटना के बाद प्रमुख विपक्षी पार्टियों (Opposition Party Meeting) की 18 जुलाई को बेंगलुरु (Opposition Party Meeting In Bengaluru) में बैठक होने वाली है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विपक्षी पार्टियों (Opposition Party) की यह दूसरी बैठक होने वाली है. सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में कई अहम फैसले हो सकते हैं. इस बैठक में 24 विपक्षी पार्टियां शामिल होने वाली है. कहा जा रहा है कि इस बैठक में सीएम नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) को लेकर भी की अहम फैसले लिए जा सकता है. इससे पहले बिहार की राजधानी पटना में बीते 23 जून को बैठक हुई थी. इस बैठक में 16 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए थे, तब सभी पार्टियों के बीच यही बात तय हुई थी कि दूसरी बैठक में सभी राजनीतिक दल अपने तमाम मुद्दों पर महत्वपूर्ण चर्चा करेंगे. इससे यह कयास लगाया जा रहा है कि 18 जुलाई को होने वाली बैठक में यह तय हो सकता है कि लोकसभा का 2024 में होने वाला चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा.

नीतीश को लेकर हो सकता है बड़ा फैसला

सूत्रों का कहना है कि बेंगलुरु में होने वाली 18 जुलाई की बैठक में नीतीश कुमार को लेकर भी कुछ बड़ा फैसला हो सकता है. दरअसल पटना में हुई विपक्षी दलों की पहली बैठक नीतीश कुमार के पहल पर हुई थी. लेकिन, बेंगलुरु की बैठक में कांग्रेस की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.इधर, बिहार की राजनीतिक गलियारे में इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार की भूमिका क्या होगी? राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नीतीश कुमार के कई ऐसे नेताओं से भी अच्छे संबंध बताए जाते हैं जो फिलहाल बीजेपी विरोधी खेमे में नहीं हैं.

आने वाले समय में जरुरत पड़ने पर नीतीश कुमार उन्हें भी अपने साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं. इसके साथ ही नीतीश कुमार का उतर भारत के बड़े ओबीसी लीडर के तौर पर भी पहचान है. जिनकी जाति का वोट हिन्दी बेल्ट के कई राज्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. लंबा राजनीतिक अनुभव और बेदाग छवि के कारण भी नीतीश कुमार को संयोजक बनाने पर आम सहमति बन सकती है.

नीतीश कुमार की क्या होगी भूमिका

वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्रा कहते हैं कि नीतीश कुमार के प्रयास से पटना से जो पहल की शुरूआत हुई थी वो अब बेंगलुरु तक पहुंच गयी है. इसलिए कांग्रेस भी नीतीश कुमार को आगे कर रीजनल पार्टियों के साथ बेहतर तालमेल बैठाने का प्रयास करेगी. फिलहाल नीतीश कुमार रीजनल पार्टी के साथ तालमेल कर विपक्षी एकता को एक धागे में बांधने का प्रयास किया है. इसलिए कांग्रेस नीतीश कुमार के सहारे ही कई रीजनल पार्टियों की कई समस्याओं का निराकरण भी चाहेगी. जैसे पिछली बैठक में कुछ रीजनल पार्टियों की मांग थी कि कांग्रेस उन्हीं सीटों पर ज्यादा ध्यान दे जहां उसकी लड़ाई बीजेपी से सीधे-सीधे है. कांग्रेस इस गुत्थी को नीतीश कुमार के सहारे सुलझाने का प्रयास करेगी और उनसे मांग करेगी कि रीजनल पार्टियां कांग्रेस को फ्रंटफुट पर खेलने दें.

सोनिया गांधी की उपस्थिति क्यों है महत्वपूर्ण 

इस बैठक में सोनिया गांधी की मौजूदगी को भी राजनीतिक पंडित महत्वपूर्ण मान रहे हैं. कांग्रेस को 23 जून की बैठक के बाद लगने लगा है कि बीजेपी के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा बनाया जा सकता है. इसलिए कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी भी इस बैठक में रहेंगी. सोनिया गांधी के इस बैठक में रहने से कुछ समस्या आए तो उनके कद और अनुभव से इसका वहीं निराकरण हो सकता है. इसके साथ ही कई ऐसे रीजनल पार्टी के नेता हैं जो राहुल गांधी की अगुवाई को पसंद नहीं करते हैं.ऐसे नेताओ को सोनिया गांधी बेहतर तरीके से हैंडल कर सकती है. कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी शीग्र ही कुछ बड़ी घोषणा भी कर सकती है, जो तमाम नेताओं के लिए भी बड़ा मैसेज हो सकता है. बहरहाल विपक्षी दल सोनिया गांधी के सहारे ऐसा रास्ता निकालाने का प्रयास कर रही है जो 2024 में मजबूत गठबंधन बने और बीजेपी को टक्कर दे सके.

क्या है कार्यक्रम?

कर्नाटक के मुख्यमंत्री द्वारा 17  जुलाई की शाम 6 बजे से सभी विपक्षी दलों के लिए रात्रि भोज का आयोजन किया गया है. इस भोज में पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी शामिल नहीं हो पायेंगी. ममता बनर्जी विपक्ष के इस डिनर में शामिल नहीं होने के पीछे मेडिकल कारण दिए गए हैं. अगले दिन 18 जुलाई को विपक्षी नेताओं की 11 बजे से शाम 4 बजे तक बैठक होगी.इस बैठक में 2024 चुनाव को लेकर रणनीति बनेगी. कहा जा रहा है कि बैठक में 6 एजेंडे पर विस्तार से चर्चा होगी.

इन पर हो सकती है चर्चा

1.आम चुनावों 2024 के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की ड्रॉफ्टिंग और गठबंधन के लिए जरूरी कम्यूनिकेशन पॉइंट्स बनाने के लिए कमेटी स्थापित करना.

2. दो दलों के बीच विरोधाभासों को दूर करने और पार्टियों के सम्मेलनों, रैलियों के लिए सब कमेटी बनाना 

3. राज्य के जिस दल का जो आधार है उसपर सीट साझा करने के मामले पर चर्चा होगी.

4.ईवीएम के मुद्दे पर चर्चा करना और चुनाव आयोग के लिए सुधार सुझाव देना. 

5.गठबंधन के लिए एक नाम सुझाव देना.

6. प्रस्तावित गठबंधन के लिए एक सामान्य सचिवालय की स्थापना करना

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