संसद की सुरक्षा में सेंधमारी करने वाला ललित झा बिहार के ही रहने वाला हैं. क्लास सातवीं की परीक्षा पास करने के बाद वह अपने पिता के साथ कोलकाता चला गया था. ललित झा के पिता पिछले 50 वर्षो से कोलकाता में ही रह रहे हैं. बताते चलें कि बुधवार को चार प्रदर्शनकारियों ने सदन के अंदर प्रवेश कर ‘कलर्ड स्मोक’ छोड़ा और नारेबाज़ी की थी. ललित झा को इस घटना का ‘मास्टरमाइंड’ माना जा रहा है. मूलत: बिहार के दरभंगा जिला के अलीनगर प्रखंड के शंकरपुर उदय गांव का रहने वाला ललित झा के पिता से शुक्रवार को प्रभात खबर की टीम ने उसके गांव पहुंचकर विशेष बातचीत की.
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ललित झा के पिता पंडित देवानंद झा ने प्रभात खबर के साथ बातचीत में कहा कि संसद भवन कांड को ललित अंजाम देने जा रहा है. इसकी हम लोगों को कुछ भी जानकारी नहीं थी. कोलकाता से दिल्ली जाने से पहले ललित ने 10 दिसंबर को हम लोगों को गांव के लिए ट्रेन में बैठाया था. इसके बाद वह भी खुद ट्रेन से दिल्ली के लिए रवाना हो गया था. दिल्ली क्यों गया इसकी हम लोगों को जानकारी नहीं थी. हम लोग 10 दिसंबर को कोलकाता से चलकर 11 दिसंबर को अपने गांव चले आए थे. ललित के पिता ने कहा कि हमारे परिवार का कोई अपराधिक इतिहास नहीं रहा है. इस बात को पूरे गांव समेत क्षेत्र में पता किया जा सकता है.
पंडित देवानंद झा के तीन पुत्र में ललित सबसे बड़ा है. वहीं एक पुत्री है. जिसका विवाह हो गया है. पं. झा ने बताया दिल्ली से भी पुलिस का कॉल आया था. उसने ललित तथा उनका नाम-पता पूछा. कहा कि आज ही ललित की पेशी होगी. वहीं ललित के छोटे भाई सोनू झा ने कहा कि भाई ललित की गलत गतिविधि के संबंध में उसे भी कोई जानकारी नहीं है. वे ऐसे नहीं थे. बताते चलें कि सांसद के पास पर संसद भवन के भीतर प्रवेश कर कलर स्प्रे का प्रयोग कर विरोध जताने वाले मामले का ललित झा मास्टर माइंड है. जूते में छिपाकर ये लोग स्प्रे लेकर संसद में पहुंचे थे, जिसकी उच्चस्तरीय जांच हो रही है.
पंडित देवानंद झा ने कहा कि ललित बचपन से होनहार था. पढ़ने में भी तेज था. दरभंगा में रहकर ही गांव के विद्यालय से सातवीं तक की उसने अपनी पढ़ाई की है. इसके बाद वर्ष 2008 में ललित को हमने अपने साथ कोलकाता लेकर चला गया था. वहां महेश्वरी में नामांकन कराया, जहां से पांच वर्ष पहले उसने बीए तक की अपनी पढ़ाई पूरी की है. इसके बाद वह कोचिंग संस्थान में पढ़ाने लगा. पंडित देवानंद झा के अनुसार ललित होम ट्यूशन भी करता था. उसकी बायोलॉजी व अंग्रेजी बहुत अच्छी है. उन्होंने कहा कि हम लोग पिछले पचास वर्षो से कोलकाता में ही रह रहे हैं. लेकिन प्रति वर्ष छठ पर गांव आया करता हूं. इस वर्ष टिकट नहीं मिलने के कारण हम लोग नहीं आ सके.