नरेंद्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. साथ ही मंत्रिपरिषद के 72 सदस्यों ने गोपनीयता की शपथ ली. 72 में से 31 कैबिनेट मंत्री बने हैं. इनमें लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हाजीपुर से सांसद चिराग पासवान को भी जगह मिली है. चिराग पासवान के शपथ लेने के बाद उनके चाचा पशुपति पारस की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. इसको लेकर पशुपति पारस ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है.
पशुपति पारस ने दी बधाई
सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए पशुपति पारस ने चिराग पासवान को केंद्रीय मंत्री बनने पर बधाई दी है. उन्होंने लिखा कि लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान जी को केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ लेने पर हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएं! इसके साथ ही उन्होंने चिराग पासवान की एक फोटो भी पोस्ट की है. जिसमें चिराग पासवान गोपनीयता की शपथ ले रहे हैं. पशुपति पारस ने चिराग पासवान के अलावा कई अन्य मंत्रियों को भी मोदी कैबिनेट में शामिल होने की बधाई दी है.
शपथ के बाद चिराग पासवान का पोस्ट
वहीं, इससे पहले चिराग पासवान ने मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने पर खुशी जाहीर करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री को शुक्रिया अदा करते हुए लिखा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने पर मैं, मेरे अभिभावक और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी के प्रति आभार प्रकट करता हूं.
चिराग ने आगे लिखा कि इस गरिमामयी अवसर पर मैं यह संकल्प लेता हूं कि मेरे जीवन का हर क्षण भारत और भारत के संविधान के महान मूल्यों के प्रति समर्पित रहेगा. बिना किसी भेदभाव के राष्ट्रसेवा के लिए बिना रुके, बिना थके निरंतर कार्य करता रहूंगा. हम विकसित भारत और सशक्त भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री जी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेंगे.
पहली बार मंत्री बने चिराग
बता दें कि चिराग पासवान पहली बार केंद्रीय मंत्री बने हैं. लोकसभा चुनाव में चिराग की पार्टी लोजपा (आर) को पांच सीटें मिली थीं, इन सभी सीटों पर लोजपा (आर) के उम्मीदवार जीते थे. चिराग खुद हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीते हैं. जहां से उनके पिता दिवंगत रामविलास पासवान जीतते थे, वहां से वे उम्मीदवार बने और तीसरी बार जीते. इससे पहले चिराग पासवान दो चुनावों में जमुई से सांसद बने थे.
चाचा-भतीजे में राजनीतिक लड़ाई
पिता की मौत के बाद उनके चाचा पशुपति कुमार पारस से राजनीतिक लड़ाई शुरू हो गई और लोजपा दो धड़ों में बंट गई. चिराग ने लोजपा (रामविलास) नाम से नई पार्टी बनाई. पशुपति पारस ने भी अलग पार्टी बनाई. बाद में दोनों पार्टियां एनडीए का हिस्सा बन गईं. इस चुनाव में चिराग की पार्टी को पांच सीटें मिलीं, जबकि पशुपति की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली. जिसके चलते नाराजगी जताई गई.