पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को फटकार लगाते हुए कहा है कि जिस वित्तीय वर्ष के लिए बजट सत्र की राशि शिक्षा विभाग को स्वीकृत की गयी है, उसे दस दिनों के अंदर संबंधित विश्वविद्यालय को उपलब्ध करायें, अन्यथा शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी केके पाठक समेत सभी संबंधित अधिकारी अपने वेतन का उठाव नहीं करेंगे.
कोर्ट में शुक्रवार को राज्य के विश्वविद्यालयों के बजट की समीक्षा के लिए बुलायी गयी बैठक में भाग नहीं लेने पर विश्वविद्यालय के सभी खातों के संचालन पर अगले आदेश तक रोक लगाने और बैठक में भाग नहीं लेने वाले अधिकारियों से स्पष्टीकरण की मांग करने के मामले में सुनवाई हुई. न्यायाधीश अंजनी कुमार शरण की एकल पीठ ने राज्य के सभी संबंधित विश्वविद्यालय द्वारा इस मामले को लेकर दायर 11 रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 25 जून को निर्धारित करते हुए कहा कि इस बीच शिक्षा विभाग द्वारा 10 मई और 16 मई को जारी किये गये पत्र के कार्यान्वयन पर रोक लगी रहेगी.
कोर्ट इस मामले का हल जरूर निकालेगा
कोर्ट ने कहा कि कुलपति और अधिकारी अहम का मुद्दा नहीं बना काम की बात करें. कोर्ट ने कहा कि उन्हें पता है कि यह मामला बहुत दिनों से चल रहा है. इसलिए इसका निदान निकलना आवश्यक है और कोर्ट इस मामले में इसका हल जरूर निकलेगा.
इसके पूर्व विश्वविद्यालय की ओर अधिवक्ता विंध्याचल राय, सिद्धार्थ प्रसाद, रितेश कुमार, राणा विक्रम सिंह, मो असहर मुस्तफा, राजेश प्रसाद चौधरी ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने गत 16 मई को पत्र जारी कर विश्वविद्यालयों के बजट की समीक्षा के लिए बुलायी गयी बैठक में भाग नहीं लेने पर विश्वविद्यालय के सभी खातों के संचालक पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है.
साथ ही बैठक में भाग नहीं लेने पर संबंधित कुलपति और संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए उनके वेतन पर रोक लगा दी गयी है. उन्हें उनके पद से हटाने की भी बात विभाग द्वारा कही गयी है. वकीलों का कहना था कि विश्वविद्यालय कानून के तहत शिक्षा विभाग को विश्वविद्यालय के किसी भी कर्मी को हटाने का अधिकार नहीं है. शिक्षा विभाग द्वारा जो बजट मंजूर किया गया है, उसे भी जारी नहीं किया जा रहा है.
महाधिवक्ता ने क्या कहा
इसके पहले राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि विभाग द्वारा बुलायी गयी बैठक में जब तक वीसी भाग नहीं लेंगे, तब तक शिक्षा विभाग एक पैसा नहीं दिया जायेगा. उनका कहना था की ये लोग सिर्फ तनख्वाह लेने के लिए विश्वविद्यालय को खोले हुए हैं. उन्होंने कहा कि कुलपति की नियुक्ति कैसे होती है, यह सभी को पता है . वहां केवल पैसे का खेल हो रहा है.
उन्होंने कोर्ट को बताया कि अगले वित्तीय वर्ष के प्रस्तावित बजट समीक्षा बैठक में सभी कुलपति को भाग लेने को कहा गया था. लेकिन, बैठक में किसी ने भी भाग नहीं लिया. उनका कहना था कि 15 मई से 29 मई के बीच सूबे के 13 विश्वविद्यालयों को बैठक में भाग लेने के लिए समय तय किया गया था.
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