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पटना पुलिस के ये 26 खोजी कुत्ते कमाल के हैं! अपराधियों को खोजने में हीरा तो शराब पकड़ने में हंटर है माहिर..

पटना पुलिस के 26 खोजी कुत्ते बदमाश से लेकर जमीन के अंदर दबे शराब की खेप तक पकड़ लेते हैं. इनकी अलग-अलग खासियत है. दस्ते में शामिल ये श्वान ब्लाइंड केस को भी सॉल्व कर देते हैं. डॉग स्क्वायड में लेब्रा, जर्मन शेफर्ड समेत अन्य नस्ल के कुल 26 कुत्ते हैं

शुभम कुमार, पटना

बड़ी आपराधिक घटनाओं की जांच में जिस तरह सीसीटीवी, टेक्निकल टीम और एसआइटी की अहम भूमिका होती है. ठीक उसी तरह डॉग स्क्वायड में शामिल श्वान भी कई ब्लाइंड केस को सुलझा कर अपना लोहा मनवाते हैं. पटना पुलिस के पास डॉग स्क्वायड में लेब्रा, जर्मन शेफर्ड समेत अन्य नस्ल के कुल 26 कुत्ते हैं. इनमें से कुछ खास कुत्तों की अपनी विशेषता है.

एक्सप्लोसिव से लेकर शराब खोजने तक के लिए अलग डॉग्स

जानकारी के अनुसार एक्सप्लोसिव पकड़ने में कुत्ता शेरू, माला, जूली, मेघा, छिना और चिंकारा आगे हैं, तो अपराधियों को ट्रैक कर जेल की सलाखों तक पहुंचाने में हीरा, सिंभा, माधवी और ड्यूक का कोई जोड़ नहीं है. यही नहीं शराबबंदी के बाद लिकर के कई बड़ी खेप और जमीन के अंदर दबी शराब को हंटर, लकी और मैडी खोज निकालते हैं. इसके अलावा नारकोटिक्स के लिए रिंगो ने कई कांडों में मदद की है. शेरू, हीरा और हंटर कई बड़े-बड़े कांडों के उद्भेदन में अपनी अहम भूमिका निभा चुके हैं, जिसके लिए तीनों को कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है. डॉग स्क्वायड के अधिकारी रामेश्वर सिंह ने बताया कि सभी श्वान की अलग-अलग ताकत है और कई कांडों के उद्भेदन में अपना लोहा मनवाया है.

कार्यक्रम से पहले शेरू, सिंभा और हंटर करते हैं जांच

बड़े-बड़े कार्यक्रमों में वरीय पदाधिकारियों के निरीक्षण के दौरान शेरू, सिंभा और हंटर शामिल होते हैं. तीनों पूरे कार्यक्रम स्थल की बारीकी से जांच करते हैं. इस दौरान तीनों ने कई संदिग्ध वस्तुओं को भी ढूंढ निकाला, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर कमियों को दूर किया है. यही नहीं बख्तियारपुर में एक बड़े सरकारी कार्यक्रम में शेरू ने एक पुराना बक्सा खोजा था, जिसमें पुराने कारतूस और हथियार रखे हुए थे. हालांकि वह विभाग का ही था, जिसे बाद में वहां से हटा दिया गया.

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इन रेंजों में है डॉग यूनिट, हैंडलर कम…

बिहार में अलग-अलग रेंज में डॉग स्क्वायड की अलग-अलग यूनिट बनायी गयी है. इसमें बेतिया, छपरा, मुजफ्फरपुर, राजगीर, सहरसा, भागलपुर, गया, पूर्णिया और पटना शामिल हैं. इन सभी जिलों में कई सारे स्निफर डॉग शामिल हैं. मिली जानकारी के अनुसार प्रत्येक डॉग पर दो हैंडलर की जरूरत होती है, लेकिन इन दिनों पटना में हैंडलर की कमी है. पटना में डॉग स्क्वायड टीम गांधी मैदान एसएसपी कार्यालय और शास्त्रीनगर में है. इन दोनों जगहों पर डॉग को रखा जाता है.

हर महीने एक डॉग पर डेढ़ लाख रुपये होते हैं खर्च

मिली जानकारी के अनुसार, डॉग स्क्वायड के हर कुत्ते पर राज्य सरकार हर महीने करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च करती है. खान-पान की बात करें, तो हर दिन एक कुत्ते को 500 ग्राम मीट (उबला हुआ), 500 एमएल दूध, दो अंडा, मीट के साथ-साथ हरी सब्जियां बदल-बदल कर, 250 ग्राम आटा की रोटी और 300 ग्राम पका चावल दिया जाता है. इसके अलावा दवा और साबुन, शैंपू आदि में भी पैसे खर्च होते हैं.

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