अनुराग प्रधान, पटना. बिहार का 107 साल पुराना पटना विश्वविद्यालय और भारत के सात पुराने विश्वविद्यालयों में से एक पटना यूनिवर्सिटी की वर्तमान स्थिति कई कारणों से ठीक नहीं है. उच्च शिक्षा को लेकर लगातार पीयू की स्थिति खराब होती गयी. वर्ष 1917 में जब इसकी स्थापना हुई थी, तब यह नेपाल, बिहार और उड़ीसा इन तीनों क्षेत्रों का अकेला यूनिवर्सिटी था. दिलचस्प बात है कि उस समय इस क्षेत्र की मैट्रिक की परीक्षाओं का संचालन भी पीयू ही करता था. वर्ष 1952 में पीयू का एक अलग स्वरूप उभर कर सामने आया. पटना शहर के पुराने 10 कॉलेजों और पोस्ट – ग्रेजुएट (स्नातकोत्तर) विभागों को एक साथ एक परिसर में लाया गया. अंग्रेजों के शासनकाल में बनी शानदार इमारतों वाला यह शैक्षणिक कैंपस गंगा नदी के तट पर स्थित है.
ये कॉलेज हैं पटना यूनिवर्सिटी के अधीन
पटना सायंस कॉलेज, पटना कॉलेज, बीएन कॉलेज, लॉ कॉलेज, वाणिज्य महाविद्यालय, मगध महिला कॉलेज, ट्रेनिंग कॉलेज, कला एवं शिल्प महाविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज, पटना मेडिकल कॉलेज, पटना वीमेंस कॉलेज और आर्ट्स के साथ साइंस के विभिन्न विषयों के स्नातकोत्तर विभागों वाले ‘दरभंगा हाउस’ सभी पटना यूनिवर्सिटी के अधीन थे. इसके बाद समय के अनुसार पटना मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज पीयू से वापस ले लिया गया.
काफी धूमधाम से मनायी गयी थी 25 वीं वर्षगांठ
इतिहास की प्रो जयश्री मिश्रा बताती हैं- पटना यूनिवर्सिटी अपना 25 वां स्थापना दिवस यानी सिल्वर जुबली 1942 के बजाय 1944 में मनाया. भारत छोड़ो आंदोलन के कारण कार्यक्रम 1944 में आयोजित हुआ. जो कई दिनों तक चला. इस मौके पर तेज बहादुर शत्रु, राधाकृष्णन, ओमकार नाथ ठाकुर, फियाज खान, पटवर्धन और पुलष्कर जैसे कई दिग्गज सिल्वर जुबली में शामिल हुए.
50वें स्थापना दिवस पर शामिल हुए थे राष्ट्रपति
पीयू के 50 वें स्थापना दिवस समारोह में देश के राष्ट्रपति वीवी गिरी आये थे. पीयू 21 जुलाई 1970 में अपना 50वां स्थापना दिवस मनाया था. इसी कार्यक्रम में सुबह शिक्षा मंत्री वीके आरवी राव आये थे. यह कार्यक्रम भी 1967 में होना था, लेकिन सुखाड़ के कारण यह कार्यक्रम लेट से आयोजित हुआ. उस समय दरोगा प्रसाद राय मुख्यमंत्री थे और कुलपति के प्रभार में प्रो केके दत्ता थे.
2007 से लगातार मन रहा स्थापना दिवस
पीयू ने जब 75 वर्ष पूरा किया, तो उस वक्त कोई खास कार्यक्रम नहीं हुआ. इसके बाद से पीयू में स्थापना दिवस मना ही नहीं. वर्ष 2007 से पीयू अपना स्थापना दिवस मनाने लगा. एक अक्तूबर 2007 से पीयू अपना स्थापना दिवस लगातार मना रहा है.
14 अक्तूबर 2017 इतिहास में हैं दर्ज
पटना विश्वविद्यालय के लिए 14 अक्तूबर 2017 इतिहास में दर्ज हो गया है. यूनिवर्सिटी के लिए यह पहला मौका था, जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां आकर कार्यक्रम को संबोधित किये थे. अब तक कोई भी प्रधानमंत्री पटना यूनिवर्सिटी नहीं आये थे. उस समय के कुलपति प्रो रास बिहार प्रसाद सिंह के प्रयास से प्रधानमंत्री पीयू के शताब्दी समारोह में शामिल हुए थे.
कई हस्तियों ने बढ़ाया है मान
पटना यूनिवर्सिटी कई मायनों में खास था. यहां से अनेक लोग पढ़ कर निकले और कई बड़े-बड़े पोस्ट पर काबिज हैं. पीयू के इतिहास पर किताब लिख चुकी इतिहासकार प्रो जयश्री मिश्रा कहती हैं कि यहां प्राचीन इतिहास और संस्कृति विभाग के प्रख्यात शिक्षक प्रो अल्तेकर, जाने माने इतिहासकार प्रो रामशरण शर्मा, प्रो सय्यद हसन अस्करी, प्रो केके दत्त, राजनीति शास्त्र के विद्वान प्रो मेनन, प्रो फिलिप्स और अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बाथेजा जैसे शिक्षक पीयू की गरिमा में चार चांद लगाते थे.
1931 में हुआ था ‘इंडियन साइंस कांग्रेस’
वर्ष 1931 में यहां ‘इंडियन साइंस कांग्रेस’ का आयोजन हुआ था, जो सायंस कॉलेज में आयोजित हुआ. इसमें नोबेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक सीवी रमण समेत कई बड़े-बड़े वैज्ञानिक शामिल हुए. सीवी रमण तो यहां बराबर व्याख्यान देने भी आया करते थे. पंडित राहुल सांकृत्यायन और सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे विद्वानों को भी यहां उस समय व्याख्यान देने के लिए बुलाया जाता. पटना यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ रासबिहारी सिंह ने कहा कि पीयू के स्तर को दोबारा प्राप्त करने और उनका रुतबा बढ़ाने की कोशिश करनी है. बिहार के बाहर के छात्र भी यहां पढ़ने आयें, तभी इस विवि की सार्थकता होगी.
वापस लानी होगी यूनिवर्सिटी की गरिमा
प्रो अमरेंद्र मिश्रा कहते हैं कि पीयू की जो गौरवशाली परंपरा थी, वो 70-80 के दशक में ‘आपात काल’ के बाद से बिखरने लगी. वर्तमान समय में पीयू शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है. प्रो रणधीर प्रसाद सिंह कहते हैं कि पटना यूनिवर्सिटी का इतिहास गौरवशाली रहा है. राज्य की कई बड़ी हस्तियां इस कॉलेज में शिक्षा प्राप्त कर चुकी हैं. विगत कुछ समय में इसकी स्थिति में गिरावट आयी है. शिक्षकों का अभाव है, लेकिन हमें फिर से उसी गौरवशाली अतीत को वापस लाना होगा.
केमिस्ट्री में पीएचडी करने वाली प्रथम महिला थी डॉ रानी
शोभना गुप्ता पीयू की प्रथम महिला छात्रा रही, जिसने 1925 में बीए पास किया. नॉन कॉलेजिएट कैंडिडेट के रूप में कमल कामिनी देवी और स्वर्णलता घोष ने 1927 में बीए पास किया था. नव नलिनी घोष इस विवि की प्रथम छात्रा रही जिसने हिंदी में एमए पास किया. डॉ रानी मिश्र प्रथम महिला थी जिन्होंने केमिस्ट्री में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की.
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ये रहे हैं पीयू के स्टूडेंट्स
लोकनायक जयप्रकाश नारायण, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, फिल्म एक्टर व राजनेता शत्रुघ्न सिन्हा, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी, नौकरशाह राजीव गौवा, बिहार के चीफ सेक्रेटरी रहे अंजनी कुमार सिंह, पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे, पूर्व आइपीएस किशोर कुणाल ऐसे और भी कितने नाम हैं जो देश-दुनिया में इस विवि का झंडा लहरा रहे हैं.