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Coronavirus outbreak : 14 अप्रैल से उच्च के सूर्य होते ही करोना वायरस का भारत से हो जायेगा खात्मा

चीन के वुहान से निकल कर पूरी दुनिया में तेजी से पांव पसार रहे वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का भारत में भी प्रकोप बढ़ता जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना वायरस से भारत में 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 724 लोग संक्रमित हैं. वहीं, 66 लोग बिल्कुल ठीक हो चुके हैं. कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए भारत सरकार ने देश में 21 दिनों का लॉकडाउन कर दिया है. लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने की कोशिश में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं. सभी लोग जानना चाहते हैं कि आखिर कब कोरोना वायरस के खौफ से निजात मिलेगी. ज्योतिर्विद, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने कोरोना वायरस जैसे प्रकोप से निजात मिलने के संबंध में प्रभात खबर को बताया कि जब-जब बृहस्पति का केतु का योग होता है, तब-तब ऐसे प्रकोप का सामना करना पड़ता है. साथ ही उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रकोप से बचने के उपाय भी बताये.

पटना : चीन के वुहान से निकल कर पूरी दुनिया में तेजी से पांव पसार रहे वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का भारत में भी प्रकोप बढ़ता जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना वायरस से भारत में 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 724 लोग संक्रमित हैं. वहीं, 66 लोग बिल्कुल ठीक हो चुके हैं. कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए भारत सरकार ने देश में 21 दिनों का लॉकडाउन कर दिया है. लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने की कोशिश में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं. सभी लोग जानना चाहते हैं कि आखिर कब कोरोना वायरस के खौफ से निजात मिलेगी. ज्योतिर्विद, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने कोरोना वायरस जैसे प्रकोप से निजात मिलने के संबंध में प्रभात खबर को बताया कि जब-जब बृहस्पति का केतु का योग होता है, तब-तब ऐसे प्रकोप का सामना करना पड़ता है. साथ ही उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रकोप से बचने के उपाय भी बताये. पढ़िए कोरोना वायरस के खात्मे को लेकर उन्होंने क्या कहा…

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Coronavirus outbreak : 14 अप्रैल से उच्च के सूर्य होते ही करोना वायरस का भारत से हो जायेगा खात्मा 2

ज्योतिर्विद, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि स्वतंत्र भारत के की जन्म कुंडली वृषभ लग्न की है. गोचर दशा अनुसार सूर्य देव इस लग्न से एकादश भाव में भ्रमण कर रहे हैं. सूर्यदेव 14 अप्रैल, 2020 को अपनी उच्च राशि मेष राशि में प्रवेश करेंगे. इसके फलस्वरूप भारत की जन्मकुंडली में सूर्यदेव चतुर्थ भाव से नवम भाव में रहेंगे अर्थात् पंचम नवम संबंध बनेगा. 14 अप्रैल से पृथ्वी सूर्य के और निकट आ जायेगी, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ जायेगा और करोना जैसे घातक जीवाणु का अंत हो जायेगा.

30 मार्च से बृहस्पति मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जो कि भारतवर्ष की जन्म पत्रिका के नवम भाव में विराजमान रहेंगे तथा बृहस्पति पंचम दृष्टि लग्न भाव पर होने से भारतवर्ष से इस प्रकार के जीवाणुओं का अंत होगा, क्योंकि बृहस्पति की पंचम दृष्टि अति शुभ मानी जाती है. अतः 14 अप्रैल, 2020 तक भारत में इस बीमारी का अंत हो जायेगा.

बृहस्पति जीव और जीवन का कारक ग्रह हैं, जो सभी के जीवन का प्रतिनिधित्व करता है. इसलिए जब भी बृहस्पति और राहु या बृहस्पति और केतु का योग होता है, तब ऐसे समय में संक्रामक रोग और ऐसी बीमारिया फैलती हैं. ध्यान योग्य बात है कि राहु के द्वारा होनेवाली बीमारियों का समाधान आसानी से मिल जाता है, लेकिन केतु को एक गूढ़ और रहस्यवादी ग्रह माना गया है. इसलिए जब भी बृहस्पति और केतु का योग होता है, तो ऐसे में इस तरह के रहस्मयी संक्रामक रोग सामने आते हैं, जिनका समाधान आसानी से नहीं मिल पाता और इस समय कोरोना वायरस के केस में ऐसा ही हो रहा है.

कोरोना का कारण बृहस्पति और केतु का योग

मार्च 2019 से ही केतु धनु राशि में चल रहा है, लेकिन चार नवंबर, 2019 को बृहस्पति का प्रवेश भी धनु राशि में हो गया था, जिससे बृहस्पति और केतु का योग बन गया था, जो रहस्यमयी संक्रामक रोगों को उत्पन्न करता है. चार नवंबर को बृहस्पति और केतु का योग शुरू होने के बाद कोरोना वायरस का पहला केस चीन में नवंबर के महीने में ही सामने आया था. यानी, नवंबर में बृहस्पति और केतु का योग बनने के बाद ही कोरोना वायरस सक्रिय हुआ. कुल मिलाकर नवंबर में केतु और बृहस्पति का योग बनने पर कोरोना वायरस सामने आया और 26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण के बाद इसने एक बड़ी महामारी का रूप धारण कर लिया.

बृहस्पति और केतु के ग्रह योग ने मचायी थी तबाही

साल 1918 : स्पैनिश फ्लू नाम से एक महामारी फैली थी, जिसकी शुरुआत स्पेन से हुई थी. इस जानलेवा महामारी से दुनिया में करोड़ों लोग संक्रमित हुए थे. उससमय भी बृहस्पति और केतु का योग बना हुआ था.

साल 1991 : ऑस्ट्रेलिया में माइकल एंगल नाम का बड़ा कंप्यूटर वायरस सामने आया था, जिसने इंटरनेट और कंप्यूटर क्षेत्र में वैश्‍विक स्‍तर पर बड़े नुकसान किये थे और उससमय भी गोचर में बृहस्पति और केतु का योग बना हुआ था.

साल 2005 : एच-5 एन-1 नाम से एक बर्डफ्लू फैला था और उससमय में भी गोचर में बृहस्पति और केतु का योग बना हुआ था. ऐसे में जब भी बृहस्पति और केतु का योग बनता है, उससमय में बड़े संक्रामक रोग और महामारियां सामने आती हैं.

साल 2005 : जब बृहस्पति और केतु योग के दौरान बर्डफ्लू सामने आया था, तब बृहस्पति और केतु का योग पृथ्वी तत्व राशि में होने से यह एक सीमित एरिया में ही फैला था.

साल 2019 : चार नवंबर को बृहस्पति और केतु का योग अग्नि तत्व राशि (धनु) में बना है, जिस कारण आग की गति से कोरोना वायरस पूरे विश्वभर में फैलता जा रहा है.

प्रकोप से बचने के क्या हैं उपाय

दुर्गासप्तशती के 12वें अध्याय के 8वे श्लोक में लिखा है…

”उपसर्गानशेषांस्तु महामारी समुद्भवान। तथा त्रिविधमुत्पातं माहात्म्यं शमयेन्मम।

मेरा महात्म्य महामारीजनित समस्त उपद्रवों तथा आध्यात्मिक आदि तीनों प्रकार के उत्पातों को शांत करनेवाला है.

महामारी के लिए…

ऊं जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।

  • धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के अलावा हर रोज भी इस मंत्र का यथासंभव 108 बार जप तन-मन और स्थान की पवित्रता के साथ करने से संक्रामक रोग सहित सभी गंभीर बीमारियों का भी अंत होता है. घर-परिवार रोगमुक्त होता है. इस मंत्र के जाप के पहले देवी की पूजा पारंपरिक पूजा सामग्रियों से जरूर करें. इसमें गंध, फूल, वस्त्र, फल, नैवेद्य शामिल हो. इतना भी ना कर पाएं, तो धूप और दीप जलाकर भी इस मंत्र का ध्यान कर आरती करना भी बहुत शुभ माना गया है.

  • प्रतिदिन सूर्य उदय से पूर्व उठे और सूर्य को जल चढ़ाएं, साफ-सफाई का ध्यान रखें.

  • सूर्य के वैदिक वैदिक मंत्रों का जाप रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ायेगा.

  • ज्यादा से ज्यादा पानी पीयें. गर्म या गुनगुने पानी का सेवन करें.

  • महामृत्युंजय जाप का जाप करें.

  • प्रतिदिन सुबह गंगाजल का अपने घर में छिड़काव करें.

  • ललाट, हृदय नाभि में हल्दी एवं केशर लगाएं.

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