27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे का समय बढ़ने पर क्यों हो रही आंध्र-तेलंगाना की चर्चा

Bihar Land Survey बिहार में जमीन सर्वे को लेकर जमीनी स्तर पर सरकार से किसान नाखुश हैं. वे सरकार की तैयारी और अफसरों की मनमानी पर सवाल खड़े कर रहे हैं. इसको लेकर राजनीतिक जानकार कहते हैं कि कुछ ऐसा ही हाल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी देखने को मिला था.

Bihar Land Survey: बिहार की नीतीश सरकार ने जमीन सर्वे को लेकर बड़ा फैसला लेते हुए इसे तीन माह के लिए बढ़ा दिया है. नीतीश सरकार के इस फैसले की हर तरफ चर्चा हो रही है. रैयत इसको लेकर खुश हैं. इससे करीब पौन तीन करोड़ परिवार प्रभावित हो रहे थे.अब ये सभी लोग थोड़ा राहत की सांस ली है.

लेकिन, सरकार के इस फैसले के बाद बिहार की राजनीतिक गलियारों में आंध्र-तेलंगाना की चर्चा होने लगी है. इधर, बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जयसवाल का कहना है कि हमने रैयतों को जमीन सर्वे से जुड़े कागजात को एकत्रित करने के लिए समय सीमा बढ़ा है. जबकि विपक्ष और राजनीतिक पंडितों का कहना है कि सरकार आंध्र-तेलंगाना में जमीन सर्वे के बाद आए चुनाव परिणाम के कारण यह फैसला ली है.

बिहार में जमीन सर्वे, हजार समस्याएं

बिहार में नीतीश सरकार का जमीन सर्वे अभियान लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. सरकार के इस फैसले से लगभग पौने तीन करोड़ परिवारों में जमीन के कागजातों को लेकर खलबली मची हुई है. बिहार में लगभग 2.75 करोड़ परिवार रहते हैं. इनमें से ज्यादातर परिवारों के पास थोड़ी-बहुत जमीन है. इन लोगों के पास अपने बाप- दादा की जमीन का कोई पुराना कागजात नहीं है. ये इसको ढूंढने में लगे हैं, लेकिन न घर में और सरकार के पास इसके कोई स्त्रोत मिल रहे हैं.

ये भी पढ़ें… Bihar Land Survey: बिहार में इतने दिनों तक टला जमीन सर्वे का काम, देखिए वीडियो क्या बोले मंत्री

वे दिल्ली- मुम्बई से अपने गांव में आकर डेरा जमाए हुए हैं. सरकारी ऑफिस का प्रतिदिन चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन उनको इसका कोई समाधान नहीं मिल रहा है. इधर, जिन लोगों के पास कागजात हैं वे कैथी लिपि में लिखे हैं. यह भी इनके लिए परेशानी बन गई है. क्योंकि इसको समझना भी मुश्किल हो रहा है. भूमि सर्वेक्षण कर्मचारियों की कमी और कैथी लिपि को समझने वाले लोगों की गैरमौजूदगी ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. पुराने दस्तावेज किसी को समझ में ही नहीं आ रहा. इससे सरकारी कर्मचारियों के भाव बढ़े हुए हैं.

क्यों याद आ रहा आंध्र-तेलंगाना?
बिहार में जमीन सर्वे को लेकर जमीनी स्तर पर सरकार से किसान नाखुश हैं. वे सरकार की तैयारी और अफसरों की मनमानी पर सवाल खड़े कर रहे हैं. इसको लेकर राजनीतिक जानकार कहते हैं कि कुछ ऐसा ही हाल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी देखने को मिला था, जहां के लोग सरकार के जमीन सर्वे के फैसले से नाराज थे. लेकिन सरकार ने उनकी सुनने को तैयार नहीं थी और जल्दबाजी में किए गए जमीन सर्वे के कारण लोगों में नाराजगी फैल गई थी. यह एक बड़ा कारण बना के. चंद्रशेखर राव और जगन मोहन रेड्डी सरकारों के चुनाव हारने का.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें