Bihar News: आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) पटना महानगर के सैकड़ो कार्यकर्ताओं द्वारा दक्षिण बिहार प्रान्त मंत्री नीतीश पटेल व शशि कुमार के नेतृत्व में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के आवास का घेराव किया गया.
क्या थी मांग
मांग थी- बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के खातों के संचालन पर लगे रोक को तुरंत हटाया जाए, सभी शिक्षक एवं कर्मचारियों के बकाया वेतन और पेंशन को तुरंत जारी किया जाए और विश्वविद्यालय के स्वायत्तता पर हनन मामले का उपचार.
कार्यकर्ताओं को पुलिस ने किया गिरफ्तार
परिषद द्वारा इस आवास घेराव के दौरान परिषद के कार्यकर्ताओं और पुलिस प्रशासन में जोरदार झड़प हो गई जिसमें कई कार्यकर्ताओं को चोट भी आई. इस मामले में कारवाई करते हुए पुलिस कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करके शास्त्री नगर थाने ले गई .
विश्वविद्यालय स्वायत संस्थाएं मगर शिक्षा विभाग कर रही हस्तक्षेप
ABVP (अभाविप) के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम,1976 एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विभिन्न अधिनियम, नियम एवं परिनियमों के अनुसार राज्य के अंदर अवस्थित विश्वविद्यालय स्वायत्त संस्थाएं हैं, परंतु विगत वर्षों में इस क्षेत्राधिकार में उच्च शिक्षा विभाग, बिहार सरकार एंव शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा अनावश्यक एवं गैरकानूनी हस्तक्षेप डाला जा रहा है. जिससे बिहार के उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में नकारात्मक असर पड़ रहा है.
विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता ख़तरे में
ABVP के दक्षिण बिहार प्रान्त मंत्री नीतीश पटेल ने कहा कि विगत कई महीनों से प्रदेश में शिक्षा विभाग के द्वारा मनमानी के कारण विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता ख़तरे में नजर आ रही है. शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के लगातार तानाशाही एवं अड़ियल रवैये के कारण आज प्रदेश भर में अराजक सी स्थिति बन गई है.
दिशानिर्देश देने का अधिकार केवल राज्यपाल को
पटेल ने कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होने के नाते राज्यपाल ही केवल दिशानिर्देश देने का अधिकार रखते हैं और यूजीसी भी कई निर्णयों में यह स्पष्ट कर चुकी है कि सरकार विश्वविद्यालयों में वित्तीय सहायता देने के नाम पर उसकी स्वायत्तता को खत्म नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि राज्यपाल प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख होते हैं लेकिन उनके आदेश को भी शिक्षा विभाग के बेलगाम अधिकारी नहीं मान रहे हैं. ऐसे में पूरे प्रदेश की गरिमा देश भर में हास्यास्पद बन गई है.
विश्वविद्यालयों के खातों पर रोक लगाना मानसिक विकृति
परिषद का आरोप है कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के द्वारा विश्वविद्यालयों के खातों पर रोक लगाना मानसिक विकृति को दर्शाता है. विगत कई महीनों से शिक्षकों, कर्मचारियों एवं पेंशनधारियों का वेतन रोकना मानवीय त्रासदी से कम नहीं है. उन्होंने कहा कि के के पाठक का ये रवैया बिहार की शिक्षा व्यवस्था में वसूली का माध्यम बन गया है. ऐसी परिस्थिति में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री की चुप्पी उनकी लाचारी को दर्शाता है.
अपने मांगो में नीतीश पटेल ने कहा है :-
- प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के खातों के संचालन पर लगे रोक को तुरंत हटाया जाए, जिससे विश्वविद्यालय का कामकाज सुचारू रूप से हो पाए.
- सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों का बकाया वेतन एवं पेंशन (माह फरवरी से वेतन नहीं मिला है) तुरंत जारी किया जाये.
- प्रदेश के विश्वविद्यालयों में हजारों अतिथि शिक्षक पढ़ा रहे हैं, जिन्हें 11 महीने से मानदेय नहीं मिला है और जिसे शिक्षा विभाग विश्वविद्यालय पर टाल रहा है. इससे शिक्षकों के लिए वित्तीय संकट के साथ साथ मानवीय संकट भी उत्पन्न हो रहा है. इस मामले में शिक्षा विभाग को निर्देशित किया जाये कि अतिथि शिक्षकों का बकाया मानदेय तुरंत जारी करे.
- शिक्षा विभाग बिहार के विश्वविद्यालयों के स्वायत्तता का हनन करना बंद करें.