Bihar News: मनोज कुमार, पटना. बिहार में दूसरे राज्यों के पौधों से फल व फूल उग रहे हैं. बिहार के प्राइवेट और सरकारी नर्सरी मिलकर भी डिमांड से लगभग 85 फीसदी कम पौधों की सप्लाई कर रहे हैं. कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, केवल पपीता के पौधे बिहार आयात नहीं करता है, जबकि आम और लीची जैसे पौधे भी बिहार में बाहर से आ रहे हैं. यह हालात तब है जब बिहार के अधिकतर नर्सरी संचालक आम और लीची के ही पौधे उगा रहे हैं. रिपोर्ट की माने तो बिहार में अधिकतर फल व फूलों के पौधे बेंगलुरु, कोलकाता, पुणे, दिल्ली, लखनऊ, रायपुर, बस्ती से आ रहे हैं.
लोकल बीज से होती है सब्जियों की खेती
बिहार के किसान भी वैज्ञानिक तरीके से बीज का उत्पादन नहीं कर रहे हैं. इसका उत्पादकता पर सीधा असर पड़ रहा है. सिर्फ पपीता लोकल पौधे से लगाये जा रहे. वैसे सब्जियों की खेती भी लोकल बीज व पौधों से हो रही है. बिहार में अब स्ट्रॉबैरी, ड्रैगनफ्रूट, साइट्रस और अमरूद के अलग-अलग प्रकारों की मांग बढ़ी है, लेकिन इनके पौधे भी दूसरे राज्यों से आयात हो रहे हैं.
बेंगलुरु से आ रहे अमरूद, रायपुर से आ रहे केला के पौधे
अमरूद के पौधे बेंगलुरु, कोलकाता और रायपुर से लाये जा रहे हैं. केला के पौधों को बेंगलुरु, रायपुर, पुणे और दिल्ली से लाना पड़ रहा है. औषधीय फूल और पौधों के पौधे कोलकाता और आंध्रप्रदेश के राजामंड्री से आ रहे हैं.
लखनऊ, बस्ती व दिल्ली से आ रहे आम के पौधे
आम के पौधे लखनऊ, बस्ती कोलकाता से लाये जा रहे हैं. नींबू के पौधे पुणे, कोलकाता और रायपुर से आ रहे हैं. जबकि, पुणे और महाबलेश्वर से स्ट्रॉबैरी के पौधे आ रहे हैं. कोलकाता व बेंगलुरु से ड्रैगन फ्रूट के पौधे लाये जा रहे हैं.
बिहार में नहीं बन सकी है नर्सरी नीति
राज्य में नर्सरी नीति अभी तक नहीं बनी है. एक भी लाइसेंसी नर्सरी बिहार में नहीं हैं. नर्सरी नीति नहीं बनने से नर्सरियों के पौधों के दाम निर्धारित नहीं हो रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर इसे लेकर ठोस कार्यक्रम नहीं बन पा रहे हैं.