Bihar Politics: बिहार विधानसभा उपचुनाव में परिवारवाद एक बार फिर से प्रमुख मुद्दा बन गया है, खासकर जब विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के परिवार के सदस्य चुनावी मैदान में उतरे हैं. गया के इमामगंज सीट से पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की बहू दीपा मांझी चुनाव लड़ रही हैं. बेलागंज में सांसद सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव को टिकट मिला है, तरारी से सुनील पांडे के पुत्र विशाल पांडे प्रत्याशी हैं, जबकि रामगढ़ में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं.
जीतनराम मांझी ने परिवारवाद की परिभाषा पर प्रतिक्रिया दी
जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने इसे लेकर जनता से अपील की है कि वे नेताओं के परिवार के बजाय अपने परिवार के भविष्य को देखते हुए वोट दें. प्रशांत किशोर के इस बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने परिवारवाद की परिभाषा पर प्रतिक्रिया दी और लालू यादव परिवार को निशाना बनाते हुए इस मुद्दे पर अपनी बात रखी. मांझी ने कहा कि परिवारवाद का असली मतलब वह नहीं है जो हम कर रहे हैं, असली परिवारवाद वह है जो लालू यादव के परिवार में दिखता है.
दीपा मांझी का टिकट योग्यता के आधार पर
जीतनराम मांझी ने अपनी बहू दीपा मांझी को टिकट देने पर भी विस्तार से सफाई दी. उन्होंने कहा कि दीपा पहले से ही राजनीति में सक्रिय हैं और जिला परिषद सदस्य के तौर पर काम कर चुकी हैं. मांझी का कहना है कि मेरी बहू राजनीति में संघर्ष के बल पर आई हैं, वह एक कर्मठ और व्यावहारिक महिला हैं. इसे परिवारवाद का नाम देना गलत होगा.
प्रशांत किशोर पर पलटवार, परिवारवाद की दी नई परिभाषा
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने प्रशांत किशोर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि परिवारवाद वह नहीं है जो मैं कर रहा हूँ, परिवारवाद तब होता है जब बिना किसी राजनीतिक संघर्ष के परिवार के लोग ऊँचे पदों पर बिठाए जाते हैं. जैसे तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव को सीधे राजनीति में प्रवेश मिला.