पटना. लोजपा में टूट के बाद चुनाव चिह्न (बंगला) पर कब्जे की लड़ाई संसद और चुनाव आयोग के बाद सोमवार को जमीन पर उतर गई। लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान की जयंती पर चाचा-भतीजा (पशुपति कुमार पारस व चिराग पासवान) ने अलग-अलग समारोह के जरिए अपना शक्ति प्रदर्शन किया. चिराग ने विरासत पर हक के लिए आशीर्वाद यात्रा निकाला तो चाचा ने भाई की जंयती मनाकर अपना हक जताया. बंगला पर कब्जा के लिए सोमवार को हुए शक्ति प्रदर्शन में चाचा पर भतीजा भारी दिखे.
पापा की कर्मभूमि है हाजीपुर
चिराग ने चाचा को अपने समर्थकों की ताकत और रोड-शो से यह बताने का प्रयास किया कि लोजपा में टूट जरूर हुई है, लेकिन चिराग का जादू अब भी सिर चढ़कर बोल रहा है. चिराग ने भी समर्थकों के समर्थन से उत्साहित दिखे.यही कारण था कि चिराग पासवान पटना हाईकोर्ट के पास आंबेडर की प्रतिमा के पास धरना पर बैठ गए. उन्होंने आरोप लगाया कि हमने जिला प्रशासन को बताया था कि पटना में हाईकोर्ट के पास आंबेडर की प्रतिमा माल्यार्पण करेंगे, फिर भी हमें इसकी अनुमति नहीं दी गई. थोड़ी देर बाद चिराग बाहर से ही हाथ जोड़कर वैशाली के लिए निकल गए.
पापा के गुजरे 9 महीने भी नहीं हुए कि मेरे चाचा ने खंजर भोंका, इसलिए आज आपके बीच आया हूं. आशीर्वाद का हाथ कभी मेरे सर से उठने मत दीजियेगा. हाजीपुर को पापा मां समान मानते थे. हाजीपुर की वजह से ही पिता जी की पहचान थी. सुल्तानपुर में ही पिता जी की आत्मा बसती है. इसी वजह से इस जगह को चुना. आपका आशीर्वाद और स्नेह चाहता हूं. ये मेरे पिता की कर्मभूमि है.
पटना से निकले तो बढ़ता गया गाड़ियों का काफिला
आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत के लिए चिराग पासवान पहले पटना पहुंचे. लोजपा में टूट के बाद पहली बार पटना आए चिराग को देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी. पटना एयरपोर्ट से हाजीपुर तक सड़क के दोनों ओर चिराग समर्थकों की लंबी कतार लगी रही. समर्थकों की लंबी कतार देखकर अपनी गाड़ी की छत पर बैठ गए. इसके बाद अपने नेता का स्वागत करने आए कार्यकर्ता उनका फूल-मालाओं से स्वागत करते रहे.
चिराग के साथ चल रहा गाड़ियों का काफिला भी धीरे-धीरे बढ़ता गया और हाजीपुर पहुंचते पहुंचते यह संख्या 1500 के आस पास पहुंच गया था. इन गाड़ियों में पटना एयरपोर्ट आए लोजपा के 135 विधानसभा प्रत्याशी, सभी जिलों के अध्यक्ष शामिल थे, जो अपने साथ 4-5 गाड़ियों में समर्थकों को लेकर आए थे.