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जलवायु परिवर्तन से कृषि के साथ आर्थिक स्थिति भी प्रभावित होती है, लोगों को जागरूक होने की जरूरत: शिक्षा मंत्री

पटना विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में एसोसिएशन ऑफ ज्योग्राफर्स बिहार एंड झारखंड (एजीबीजे) के 25वें अधिवेशन और दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन रविवार को हुआ.

संवाददाता, पटना पटना विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में एसोसिएशन ऑफ ज्योग्राफर्स बिहार एंड झारखंड (एजीबीजे) के 25वें अधिवेशन और दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन रविवार को हुआ. सेमिनार का मुख्य विषय ‘जलवायु परिवर्तन, कृषि पद्धतियां और खाद्य सुरक्षा था. उद्घाटन समारोह का आयोजन जेपी अनुषद भवन में हुआ. कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने पटना यूनिवर्सिटी भूगोल विभाग और बिहार एवं झारखंड के एसोसिएशन ऑफ ज्योग्राफर्स, बिहार एवं झारखंड की यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं. उन्होंने बताया कि दोनों राज्य एकता के साथ काम कर रहे हैं और जलवायु परिवर्तन के सभी गतिविधियों, चाहे कृषि हो या आर्थिक, पर प्रभाव डालने की बात पर जोर दिया. जलवायु परिवर्तन को लेकर समुदाय की भागीदारी और जागरूकता की कमी को दूर करना आवश्यक है. पीयू कुलपति प्रो अजय कुमार सिंह ने कहा कि जब जलवायु परिवर्तन होता है, तो पौधों का व्यवहार भी बदलता है. मुख्य बिंदुओं के व्याख्यान में प्रोफेसर पीएस पांडे ने कहा कि भारत कृषि का देश है और हमें पारंपरिक और आधुनिक कृषि की समझ होनी चाहिए. अध्यक्षीय भाषण प्रो एसएन पांडे ने दिया. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न समस्याओं को कम करने के लिए उचित समाधान की आवश्यकता है. प्रो एलएन राम, प्रो आरबीपी सिंह ने कहा कि यह पीढ़ी परिवर्तन का समय है, और नयी पीढ़ी को जिम्मेदारी संभालनी होगी. प्रो राणा प्रताप ने पिछले सम्मेलनों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सम्मेलन पहले विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया गया था. इस बार पीयू में आयोजन हो रहा है. इसके बाद प्रो मनोज कुमार सिन्हा ने 2024 के जनरल सेक्रेटरी की रिपोर्ट प्रस्तुत की. कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रो मो नाजिम ने किया. प्रो मनोज कुमार सिन्हा, और डॉ देबजानी सरकार घोष ने मंच साझा किया. प्रो नाजिम ने कहा कि यह सम्मेलन न केवल भूगोल के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है, बल्कि यह शोधकर्ताओं, शिक्षकों और छात्रों के बीच ज्ञान और अनुभवों के आदान-प्रदान का भी अवसर प्रदान करता है. सम्मेलन के दौरान, सॉवेनियर, पत्रिका, किताब, जीवन सदस्यों की डायरेक्टरी का विमोचन किया गया. इस अवसर पर समारोह में देशभर के 500 से अधिक भूगोलवेत्ता, शोधकर्ता, और छात्र उपस्थित थे.

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