शुभम@पटना
कोचिंग हब में शुमार नया टोला, रमना रोड, भिखना पहाड़ी, मुसल्लहपुर हाट, बाजार समिति और रामपुर नहर रोड इलाके में एक भी ऐसा संस्थान नहीं है, जिसमें वहां पढ़ने वाले छात्रों के लिए किसी भी मायने में सुरक्षित हो. खासतौर पर अग्निकांड की स्थिति में पुराने भवनों में चल रहे कोचिंग सेंटर से निकलना काफी कठिन है.
हालांकि, छात्रों की सुरक्षा के प्रति ना तो कोई कोचिंग संचालक सजग दिख रहा है और ना ही अभिभावकों को किसी तरह की चिंता है. बच्चों की भीड़ और कमाई की होड़ में सभी कोचिंग संस्थान मानकों को ताक पर रख छात्र-छात्राओं की जिंदगी दांव पर रख धड़ल्ले से संचालन कर रहे है…प्रभात खबर ने गुरुवार को कदमकुआं, पीरबहोर और बहादुरपुर तीन थाना क्षेत्रों में कोचिंग संस्थानों के महाजाल की पड़ताल की. नजारा भयावह…कोई भी कोचिंग संस्थान मानक का पालन करते नहीं दिखायी दिये.
एक बिल्डिंग में चार-चार कोचिंग संस्थान, निकासी एक
गुरुवार दोपहर करीब दो बजे का समय. नया टोला के एक मार्केट में चार कोचिंग संस्थानों का संचालन किया जा रहा है. एक हॉल और एक कमरे में दो क्लास चलते हैं. चारों कोचिंग की स्थिति ऐसी ही है. सब में अलग-अलग कोर्स की पढ़ाई होती है. जिला प्रशासन की जांच टीम के औचक निरीक्षण के बाद इलाकों के कोचिंग संस्थानों में हड़कंप है. ज्यादातर कोचिंग संस्थान बंद दिखे.
बच्चों से पूछने पता चला कि अभी कोचिंग बंद कर दिया गया है. मोबाइल पर कोचिंग खुलने का मैसेज दिया जायेगा, तब से जाना है. नया टोला से मुसल्लहपुर हाट तक एक हजार से अधिक कोचिंग संस्थान दिखायी पड़े. एक बिल्डिंग में चार-चार कोचिंग संस्थान और निकासी मात्र एक वह भी इतना कम कि अगर आपातकालीन स्थिति हुई तो हालत भयावह हो सकती है.
छात्रों ने कोचिंग संस्थानों का खोला पोल
भिखना पहाड़ी मोड़ के पास एसएससी की तैयारी कर रहे छात्र नितिन जोशी पिछले तीन साल से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है. उसने जो कोचिंग संस्थानों के बारे में प्रभात खबर के संवाददाता से बात की. उसने बताया कि क्लास से लेकर उसके अंदर लटके तार और अन्य सारी कमियों के बारे में बताया. नितिन ने कहा कि मैं गणित का क्लास कोल्ड स्टोरेज मुसल्लहपुर में करता हूं.
वहां ताक पर रखकर गणित की क्लास चलती है. एक बेंच पर तीन-चार छात्र, हॉल में सौ से डेढ़ सौ बच्चे बैठते हैं. करंट प्रवाहित कटे तार सीलिंग से हमेशा लटकता रहता है. इन्हीं तार से एलइडी लाइट का कनेक्शन भी दिया गया था. कई बार गर्मी के दिनों में बच्चे बेहोश हो जाते हैं. न तो बाहर से हवा आता है और न ही बच्चों की संख्या कम की जाती है. कभी-कभी तो एक साथ दो बैच को टैग कर दिया जाता है, जिसके कारण परेशानी और बढ़ जाती है.
मकान मालिक ने कई संस्थानों को खाली करने का दिया आदेश
जिला प्रशासन के औचक निरीक्षण के बाद मकान मालिक कार्रवाई से डर गये हैं. बेसमेंट और सीढ़ी के नीचे या फिर छोटे-छोटे कमरों में कोचिंग संस्थान चला रहे थे. निरीक्षण के बाद मकान मालिक ने कोचिंग संचालकों को संस्थान हटाने का आदेश दिया है.
मुसल्लहपुर के लोहार लेन स्थित रीजनिंग और इंग्लिश की क्लास चलाने वाले एक कोचिंग संचालक को मकान मालिक ने खाली करने का आदेश दिया है. मकान मालिक सुधीर कुमार ने बताया कि संचालक से कहा गया था कि इतने छोटे कमरे में क्लास नहीं चलेगा, लेकिन संचालक ने उस कमरे को ज्यादा किराया देने का वादा कर ले लिया. अब उन्हें खाली करने को कहा गया है.
शिक्षा विभाग ने भी की कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसने की तैयारी
शिक्षा विभाग स्तर पर भी कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसने की तैयारी शुरू हो गयी है. जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि जिले में बहुत सारे कोचिंग संस्थान बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं, जो सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते हैं. अब वही, कोचिंग संस्थान संचालित होंगे जिन्होंने जिला शिक्षा कार्यालय से रजिस्ट्रेशन कराया है. बिना रजिस्ट्रेशन वाले कोई कोचिंग संस्थान संचालित नहीं होंगे. भवन के बेसमेंट और गैरेज में कोचिंग संचालित करने पर रोक लगा दी गयी है.
गली-मोहल्लों में सबसे अधिक कोचिंग संस्थान नौवीं से 12वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए संचालित किये जाते हैं. वहां सुरक्षा मानकों का ख्याल नहीं रखा जाता है. वर्तमान में जिले में 515 कोचिंग संस्थान पंजीकृत है. 11 सौ कोचिंग संचालकों ने रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दिया है. आवेदन के आधार पर सभी कोचिंग संस्थानों की जांच की जायेगी. अधिकारियों की टीम कोचिंग संस्थान की जांच करेंगे. हाल में जांच के दौरान कई ऐसे कोचिंग संस्थान मिले जहां जाने का रास्ता तक नहीं है. उनके पास शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है. जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि कोचिंग संस्थानों की जांच लगातार चलती रहेगी.
छात्रों ने कहा- क्षमता से अधिक बच्चों को होता है एडमिशन
कमाई को लेकर क्षमता से अधिक बच्चों का एडमिशन ले लेते हैं. जहां 50 बच्चों की क्षमता होती है जहां 100 से अधिक बच्चों को बैठाया जाता है. पढ़ाई करना है तो मजबूरीवश मैनेज कर उसी में पढ़ाई करना पड़ता है. कभी अगर शिक्षकों को समस्या बताते हैं तो वह कहते हैं कि दिल्ली चले जाओ. बिट्टू कुमार, छात्र
सीधी बात:- डॉ चंद्रशेखर सिंह, डीएम
किसी भी हालत में मानकों का उल्लंघन करने वाले कोचिंग संस्थानों को नहीं चलने दिया जायेगा. भविष्य में कोई बड़ा हादसा न हो इसके लिए अभी से सख्ती जरूरी है. कोचिंग संचालन के लिए जो बेसिक नॉर्मल है वह भी कोचिंग संस्थानों द्वारा पूरा नहीं किया जा रहा है. समय सीमा के अंदर मानक को पूरा कर लें, नहीं तो कार्रवाई होगी.
पड़ताल में ये मिली गड़बड़ी
– कोचिंग संस्थानों में इमरजेंसी डोर नहीं
– फायर इंस्टिग्यूशर हैं, पर अधिकांश चालू हालत में नहीं मिले
– अधिकांश कर्मचारी फायर इस्टिंग्यूसर चलाना नहीं जानते
– कोचिंग संस्थानों में सीढिय़ों का स्पेस कम है
– फस्र्ट, सेकेंड, थर्ड फ्लोर पर चलने वाली क्लासेज में खतरा ज्यादा
– कई कोचिंग संस्थानों के पास न शौचालय है न वाटर टैंक
– नब्बे फीसदी कोचिंग संस्थानों में नहीं है सुरक्षा मानक