पटना : हाईकोर्ट ने राज्य में कोरोना महामारी की रोकथाम और उसके बचाव को लेकर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य में किये गये एंटी बॉडीज टेस्ट का पूरा ब्योरा दो सप्ताह के अंदर कोर्ट में पेश करे.
चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने दिनेश कुमार सिंह व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई पर सुनवाई करते हुए यह जानकारी मांगी है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा था कि वह 24 जुलाई को दिये गये निर्देशों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएं.
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि पूरे राज्य की आबादी के दो फीसदी लोगों का भी कोरोना टेस्ट नहीं हुआ है. बारह करोड़ की आबादी वाले राज्य में सिर्फ नौ आरटी-पीसीआर मशीनें हैं. इन मशीनों से ही कोरोना की सही जांच हो सकती है.
साथ ही अदालत को बताया गया कि कोविड अस्पतालों में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद अब तक सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाये गये हैं. मालूम हो कि पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि कोरोना मरीजों की स्थति बिहार में कितनी भयावह है, इससे निजी तौर पर भी वे वाकिफ हैं.
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा था कि उनकी ही अदालत के एक कर्मी को कोरोना हुआ था और इलाज में हुई लापरवाही से यह बात समझ में आ गयी कि बिहार में कोरोना के इलाज की स्थितिअच्छी नहीं है.