पटना में प्रतिदिन डेंगू के नए मामले देखने को मिल रहे हैं. शुक्रवार को शहर में 148 नए डेंगू के मरीज मिलने के साथ मरीजों का आकड़ा 1702 पर पहुंच गया था. इसे लेकर अब पटना नगर निगम द्वारा दावा किया जा रहा है कि मच्छरों से छुटकारा दिलाने के लिए विशेष फॉगिंग अभियान शुरू किया गया है. इसके लिए सभी वार्डों में प्रतिदिन तीन बार हैंड मशीन से फागिंग हो रही है. जिन इलाकों में डेंगू के अधिक मामले सामने आ रहे हैं, उन इलाकों में विशेष फागिंग करने का नगर आयुक्त द्वारा सभी अंचल के पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है.
पटना नगर निगम दावा कर रही है कि प्रतिदिन दो पालियों में गाड़ियां निकल रही हैं. सभी कार्यपालक पदाधिकारियों का भी इस दौरान विशेष निरीक्षण किया जा रहा है. इसके साथ ही अंचल में एक विशेष वाहन को फागिंग के लिए चिह्नित कर रखा गया है जहां लोगों की शिकायतें मिलने अथवा डेंगू के अधिक मामले बढ़ने पर फागिंग करवाया जाये. नगर निगम की स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ. जेबा द्वारा केमिकल एवं डीजल की मात्रा की जांच सेंटर पर की जा रही है.
नगर आयुक्त द्वारा शहर के प्रमुख इलाकों बोरिंग रोड, अशोक राजपथ, राजीव नगर, ट्रांसपोर्ट नगर, कंकड़बाग, गायघाट, पाटलिपुत्र, पीरबहोर इलाका, महेंद्रू, संपतचक, शास्त्रीनगर, राजेंद्र नगर, गर्दनीबाग, खाजेकला व पत्थर की मस्जिद इलाके चिह्नित करते हुए की विशेष फॉगिंग की टीम लगायी जा रही है. इसके साथ ही संकरी गलियों में हैंड मशीन द्वारा प्रतिदिन फागिंग करने एवं खुले स्थानों पर एंटी लार्वा का छिड़काव करने का निर्देश दिया गया.
इसके साथ ही पटना नगर निगम द्वारा शहर वासियों से भी अपील की जा रही है कि यदि उनके इलाके में फॉगिंग की समस्या हो रही हो तो वह 155304 पर कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज करवायें. चुनाव ब्लीचिंग पाउडर एवं एंटी लार्वा का भी छिड़काव कर नाले के किनारों को स्वच्छ बनाये रखने का प्रयास किया जा रहा है.
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कंकड़बाग अंचल – 12 गाड़ियां, 16 हैंड फॉगिंग
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नूतन राजधानी अंचल – 22 गाड़ियां, हैंड फॉगिंग 14.
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पाटलिपुत्र अंचल – बड़ी 14 एवं, 12 हैंड फॉगिंग
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पटना सिटी – 12 बड़ी एवं 10 हैंड फॉगिंग.
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अजीमाबाद अंचल – 12 बड़ी एवं 12 हैंड फॉगिंग.
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बांकीपुर – बड़ी गाड़ी 14 एवं हैंड फॉगिंग 12.
पटना नगर निगम द्वारा कीये जा रहे इन दावों के बावजूद पटना में प्रतिदिन 100 से अधिक डेंगू के मरीज मिल रहे हैं. संक्रमित मरीजों की संख्या इतनी हो गई है कि अब शहर के अस्पतालों में प्लेटलेट्स की मांग लगभग दो गुणी हो गई है. बढ़ती खपत को देखते हुए ब्लड बैंकों ने बिना डोनर के प्लेटलेट्स देना तक बंद कर दिया है.