पटना के राजवंशी नगर स्थित एलएनजेपी हड्डी सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में इलाज कराने आ रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है. क्योंकि मरीजों के और बेहतर इलाज के लिए यहां 15 नये एमबीबीएस डॉक्टर मिलेंगे. दरअसल एलएनजेपी अस्पताल में तीन वर्षीय परास्नातक कोर्स डीएनबी (डिप्लोमा ऑफ नेशनल बोर्ड) की पढ़ाई शुरू हो जायेगी. 15 सीटों के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीइ) की टीम ने निरीक्षण के बाद जिन आपत्तियों के विरुद्ध निराकरण प्रस्ताव भी भेजा गया. उसका भी अस्पताल प्रशासन की ओर से समाधान कर लिया गया है.
डीएनबी पढ़ाइ शुरू होने से अस्पताल को ट्रॉमा सेंटर के बेहतर संचालन के लिए 15 एमबीबीएस डॉक्टर मिल जायेंगे. साथ ही प्रदेश में ट्रॉमा सेंटर के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर भी तैयार होने शुरू हो जायेंगे. जानकारों का कहना है कि डीएनबी कोर्स मास्टर इन सर्जरी (एमएस) डिग्री के बराबर होता है. अंतर सिर्फ यह है कि एमएस या एमडी कोर्स मेडिकल कालेज में संचालित किया जाता है और नीट के माध्यम से प्रवेश होता है, जबकि डीएनबी बड़े अस्पतालों में कराया जाता है और इसकी मान्यता एनबीइ देता है. इसके पूर्व इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान, बिग अपोलो स्पेक्ट्रा और अनूप ऑर्थोपेडिक अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर में डीएनबी की पढ़ाई को मान्यता मिल चुकी है.
राजवंशी नगर हास्पिटल में ट्रॉमा सेंटर शुरू करने के लिए डॉक्टरों की कमी थी. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने स्थायी समाधान के रूप में यहां डीएनबी की पढ़ाई शुरू कराने की तैयारी की. हड्डी रोग में डीएनबी की मान्यता के लिए संस्थान में सामान्य सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, ऑकुपेशनल थेरेपी और पीएमआर विभाग होना जरूरी है. इसके अलावा बेसिक साइंसेज की पढ़ाई के लिए एक आधुनिक लाइब्रेरी की जरूरत होती है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने एनबीइ को पत्र लिख कर दिया है कि पीएमसीएच में यहां के छात्रों को प्रशिक्षण दिलाया जायेगा. इसके लिए आदेश पत्र भी पहले ही जारी किया जा चुका है.
पढ़ाई शुरू होने के बाद छात्रों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो, इसलिए यहां के छात्र आइजीआइएमएस की लाइब्रेरी में अध्ययन कर सकेंगे. इसके लिए आइजीआइएमएस के निदेशक को पत्र लिखा गया है. अस्पताल के जानकारों का कहना है कि संस्थान ने एनेस्थीसिया में भी डीएनबी की पढ़ाई शुरू करने का आवेदन दिया था, लेकिन स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग नहीं होने के कारण इस प्रस्ताव का शुरुआत में ही रद्द कर दिया गया था. ट्रॉमा सेंटर के संचालन में 24 घंटे एनेस्थेटिस्ट की मौजूदगी जरूरी होती है, लेकिन संस्थान के पास अभी पर्याप्त संख्या में डॉक्टर नहीं हैं.
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अस्पताल के निदेशक व हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ सुभाष प्रसाद ने बताया कि राजवंशी नगर में प्रदेश का पहला ट्रॉमा सेंटर स्थापित किया गया है. अस्पताल प्रबंधन की ओर से यहां डीएनबी की पढ़ाई के लिए तैयारी लगभग पूरी कर ली गयी है. किसी भी समय एनएमसी की टीम निरीक्षण के लिए दिल्ली से आ सकती है. पढ़ाई की अनुमति मिलने के साथ ही यहां 15 अतिरिक्त एमबीबीएस डॉक्टर भी मिल जायेंगे. ये डॉक्टर हड्डी के साथ न्यूरो, प्लास्टिक व सामान्य सर्जरी तक में पारंगत होंगे. इससे मरीजों को भी काफी फायदा होगा.