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बिहार में दो एक्सप्रेस वे का इसी साल शुरू होगा काम, यूपी से बंगाल तक बनेगा हाईस्पीड कोरिडोर

Expressways in Bihar: बिहार सरकार चाहती है कि अगर केन्द्र सरकार सहमति दे तो राज्य सरकार ही एक्सप्रेस-वे का निर्माण करे. दोनों एक्सप्रेस-वे को लेकर केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय के महानिदेशक डी षाडंगी की ओर से बिहार को पत्र भेजा गया है.

Expressways in Bihar: पटना. बिहार में दो एक्सप्रेस-वे के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. दोनों एक्सप्रेस-वे पर काम इसी साल शुरू हो जाने की बात कही जा रही है. केन्द्र सरकार ने गोरखपुर-सिल्लीगुड़ी और रक्सौल हल्दिया एक्सप्रेस-वे का मास्टर प्लान तैयार कर लिया है. दोनों प्लान पर बिहार सरकार से मंतव्य मांगा गया है. फिलहाल दोनों एक्सप्रेस-वे का निर्माण एनएचएआई की ओर से प्रस्तावित है. हालांकि, बिहार सरकार चाहती है कि अगर केन्द्र सरकार सहमति दे तो राज्य सरकार ही एक्सप्रेस-वे का निर्माण करे. दोनों एक्सप्रेस-वे को लेकर केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय के महानिदेशक डी षाडंगी की ओर से बिहार को पत्र भेजा गया है.

इसी वित्तीय वर्ष में काम शुरू करने की हो रही कोशिश

विभागीय पत्र में कहा गया है कि विजन 2047 के तहत देश में हाईस्पीड कॉरिडोर का निर्माण किया जाना है. पहले चरण में 18 हजार 200 किलोमीटर सड़क का निर्माण होना है. देश के समतल इलाकों में एनएचएआई की ओर से सड़क का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है. इसलिए राज्य सरकार अपने यहां की परियोजनाओं पर पक्ष भेजे ताकि एक्सप्रेस-वे के निर्माण का कार्य शुरू किया जा सके. केन्द्र की ओर से भेजे गए पत्र के आलोक में राज्य सरकार ने जवाबी पत्र तैयार कर लिया है. विभाग ने कहा है कि चालू वित्तीय वर्ष में इन दोनों एक्सप्रेस-वे के 100-100 किलोमीटर खंड की निविदा जारी करनी है. कोशिश है कि इसी वित्तीय वर्ष में इस पर काम शुरू हो जाए. अभी इन दोनों एक्सप्रेस-वे की डीपीआर बनाई जा रही है. एलाइनमेंट का काम पूरा हो चुका है. जैसे ही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी कि इसकी निविदा जारी कर दी जाएगी.

बिहार के इन जिलों से गुजरेगी सड़क

रक्सौल से शुरू होकर हल्दिया तक जानेवाला एक्सप्रेस 719 किलोमीटर लंबा है. यह बिहार के अलावा झारखंड होते हुए पश्चिम बंगाल मेंसमाप्त होगा. रक्सौल-हल्दिया हाईस्पीड कॉरिडोर बिहार के पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, लखीसराय, जमुई और बांका जिलों से गुजरेगा. उत्तरप्रदेश से शुरू होनेवाला यह दूसरा एक्सप्रेस वे बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल में समाप्त होगा. इस एक्सप्रेस-वे की एक खासियत यह भी है कि इसका गोरखपुर-पानीपत एक्सप्रेस-वे से भी जुड़ाव हो जाएगा. इस तरह पानीपत से गोरखपुर होते हुए किशगंज और सिल्लीगुड़ी तक इसका सीधा जुड़ाव हो जाएगा. गोरखपुर-सिल्लीगुड़ी हाईस्पीड कॉरिडोर पश्चिम चंपारण, पूर्वी चम्पारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जिलों से होकर गुजरेगी.

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बिहार सरकार खुद बनाने की इच्छुक

बिहार का मानना है कि राज्य सरकार को अगर मौका दिया गया, तो वह एक्सप्रेस-वे का निर्माण करा सकती है. चूंकि जमीन अधिग्रहण से लेकर निर्माण की प्रक्रिया बिना राज्य सरकार की भूमिका के संभव नहीं है. एनएचएआई की ओर से निर्माण किए जाने पर दोहरी निगरानी के कारण परियोजना में देरी हो सकती है, जबकि अगर राज्य सरकार को मौका मिले, तो वह आसानी से सड़क का निर्माण करा लेगी. वैसे भी पथ निर्माण विभाग के पास प्रशिक्षित इंजीनियरों की टीम व अन्य साधन-संसाधन उपलब्ध हैं, जो नेशनल हाई-वे का निर्माण कर सकते हैं. पथ निर्माण विभाग पिछले तीन वर्षों में 500 करोड़ की परियोजनाओं को पूरा कर चुका है.

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