औरंगाबाद के मदनपुर प्रखंड के अति प्राचीन उमगा में बसंत पंचमी पर लगने वाले मेले का शुभारंभ हो गया. बुधवार को डीएम सौरभ जोरवाल व सपी स्वप्ना जी मेश्राम ने संयुक्त रूप से फीता काट कर उद्घाटन किया. डीएम ने कहा कि उमगा में प्रतिवर्ष बसंत पंचमी पर मेले का आयोजन किया जाता है. मेले के आयोजन से लोगों को मनोरंजन के साधन के साथ-साथ सामाजिक समरसता का भी निर्माण होता है. कुछ वर्षों से मेले के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ा है, जिस कारण प्रतिवर्ष शानदार मेले का आयोजन हो रहा है. मेले में पहुंचे दुकानदारों को किसी प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े इसके लिए मेले में अनुशासन व मर्यादा का पालन होना जरूरी है.
एसपी ने कहा कि इस मेले में काफी भीड़ उमड़ती है. ऐसे में सुरक्षा के प्रति विशेष रूप से जागरूकता जरूरी है. उन्होंने कहा कि मेले में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी न हो इसके लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि मेले में आने वाले युवक-युवतियों को मनोरंजन के साथ-साथ व्यापक सुरक्षा मुहैया कराया जाना आवश्यक है.
मेला संवेदक विवेकानंद सिंह ने कहा कि मेले में विशेष आकर्षण के साधन उपलब्ध कराये गये है. आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खाने-पीने से लेकर सभी प्रकार की सामग्री व झूले का व्यापक प्रबंध किया गया है. मेला कमेटी की ओर से काफी स्वयंसेवक सुरक्षा में लगाये गये है. मौके पर डीडीसी अभयेंद्र मोहन सिंह, बीडीओ कुमुद रंजन, राकेश सिंह, मनोज सिंह, राजन सिंह, भूपेंद्र सिंह, बसंत सिंह, सुबोध सिंह आदि मौजूद थे. ज्ञात हो कि बसंत पंचमी के मौके पर लगने वाले मेले का एक खास आकर्षण व पहचान है. पहले महीनों तक मेले का आयोजन होता था और दूर-दूर से लोग खरीदारी के लिए पहुंचते थे. लेकिन, अब बसंत पंचमी मेला चंद दिनों में ही सिमट कर रह गया है.
मदनपुर-देव पथ में प्राकृतिक छटा व विशिष्ट चट्टानी गुफा जैसी महत्वपूर्ण चीजों को अपने में समेटे उमगा पहाड़ इस इलाके के लिए एक बेहद दर्शनीय स्थल है. उमगा पहाड़ी पर स्थित कई चीजे लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है. पहाड़ी के आसपास फैले बड़े-बड़े चट्टान व घने पेड़-पौधे तथा तालाब सैलानियों को भी आकर्षित करते हैं.
पिकनिक मनाने वालों के लिए यह जगह सबसे पसंदीदा है. बसंत पंचमी पर यहां तीन दिवसीय मेला लगता है. पहाड़ पर कई मंदिरों के साथ-साथ एक प्राचीन कुआं हैं. यहां भगवान शिव, माता पार्वती, मां उमंगेश्वरी, बजरंगबली का मंदिर आस्था का एक बड़ा केंद्र है. खासकर सूर्य मंदिर हर किसी के जेहन में है. पहाड़ पर बने कुएं में हर मौसम में पानी भरा रहता है. पहाड़ पर सैकड़ों वर्ष पुरानी गुफा भी लोगों के कौतुहल का केंद्र है.
प्राचीन समय में पहाड़ पर एकांतवास करने वाले ऋषि तपस्या करते थे. गुफा के पास में ही गौरी शंकर की प्रतिमा गुफा में स्थित है. वैसे उमगा पहाड़ी पर 52 मंदिरों का शृंखला है. पहाड़ी पर अमर कुंड स्थित है, यह भी अपने में आश्चर्य समेटे हुए हैं. बड़ी बात यह है कि बड़े-बड़े चट्टानों से बनी लूंगा पहाड़ी पर सिर्फ चट्टान बा बड़े-बड़े शिलाखंड ही नहीं है. यह पहाड़ वनस्पति से भी भरा पड़ा है. पहाड़ की हरियाली लोगों को अपनी ओर खिंचती है.