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छोटे-छोटे उद्योगों के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं ने खोला खजाना

बिहार में एमएसएमइ (माइक्रो , स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) सेक्टर के नव उद्यमों को ताकत देने सार्वजनिक क्षेत्र की वित्तीय संस्थाओं ने अपने खजाने खोल दिये हैं.

राजदेव पांडेय, पटना बिहार में एमएसएमइ (माइक्रो , स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) सेक्टर के नव उद्यमों को ताकत देने सार्वजनिक क्षेत्र की वित्तीय संस्थाओं ने अपने खजाने खोल दिये हैं. पिछले वित्तीय वर्ष 2023-2024 में बैंकों ने खुले हाथों से ऋण बांटे हैं. इसकी वजह से राज्य में क्रेडिट फ्लो 77 हजार (77000) करोड़ पार कर गया है. वर्ष 2015-16 में यह क्रेडिट फ्लो केवल आठ हजार करोड़ का था. इस तरह पिछले नौ साल में राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र से एमएसएमइ सेक्टर में क्रेडिट फ्लो 10 गुना अधिक हो चुका है. चालू वित्तीय वर्ष के आंकड़े और भी अधिक उत्साहजनक होंगे. आने वाले समय में इससे रोजगार सृजन में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल सकेगा. मौजूदा समय में बिहार लगभग 40 लाख से अधिक छोटे एवं लघु एवं सूक्ष्म उद्योग हैं. बिहार में एमएसएमइ की गति बढ़ रही है,इसका अंदाजा उसकी मुख्य घटक प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के आंकड़े से लग सकता है. 10 दिसंबर, 2024 में राज्यसभा में केंद्र ने बिहार के संदर्भ में मुद्रा योजना पर प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में बताया है कि एक नवंबर, 2024 तक बिहार में 2.62 लाख की राशि बांटी जा चुकी है. चालू वित्तीय वर्ष में नवंबर तक अकेले इस योजना में कुल ऋण खातों की संख्या 30.73 लाख है. चालू वित्तीय वर्ष में इन ऋण खातों में छोटे-छोटे उद्यम या कारोबार शुरू करने के लिए 21368.07 करोड़ की ऋण राशि बांटी गयी है. इसमें से अनुसूचित जाति के लाभुकों को 2788.92 करोड़, अनुसूचित जनजाति के लाभुकों को 764 करोड़, पिछड़ा वर्ग श्रेणी में 7396.75 करोड़ और महिला श्रेणी में 10530.17 करोड़ की राशि बांटी गयी है. इस तरह सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों की तरफ से क्रेडिट फ्लो किया जा रहा है. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े वित्तीय वर्षबांटा गया ऋण 2016-1711585.61 2017-201815396.71 2018-201923068 2019-202026340 2020-202124019.77 (करोना का कुछ असर की वजह से कुछ कम ऋण बंटे ) 2021-202230725 2022-202345448 2023-202456841 (राशि करोड़ में )

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