Inflation: महंगाई ने लोगों की थाली का स्वाद बिगाड़ दिया है. आसमान छूते सब्जियों के दाम और दूध, फल व अन्य खाद्य सामग्रियों की बढ़ी कीमतों के कारण लोग बचत के लिए रसोई व खाने-पीने के सामान में कटौती करने लगे हैं. लोगों का मानना है जिस तरह से लगातार महंगाई बढ़ रही है, उससे परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. जो लोग पहले हर दिन दूध के दो पैकेट मंगाते थे, वे अब सिर्फ एक पैकेट ही मंगा रहे हैं.
इतना ही नहीं, लोगों ने अपने पालतू जानवरों के खाने में भी कटौती कर दी है. दवाइयों से लेकर, चावल-दाल, साग-सब्जियों, फल, ड्राइ फ्रूट्स व पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स की कीमतें भी बढ़ गयी हैं. लोगों का कहना है कि प्रतिदिन उपयोग में आने वाली सामग्रियों की कीमतों में वृद्धि से काफी परेशानी हो रही है. सरकार को इनकी कीमतों पर शीघ्र नियंत्रण करना चाहिए.
अनियमित मौसम व बारिश बन रही वजह
महंगाई के लिए केवल सब्जियां, विशेषकर टमाटर ही जिम्मेदार नहीं हैं. इसके बजाय, अनाज, दालें, मसालों और ड्राइ फ्रूट्स सहित खाद्य पदार्थों तक की कीमतें बढ़ गयी हैं. नींबू तक ने दामों में ऐसी ऐतिहासिक छलांग मारी है कि नजर उतारने के बजाये खुद नजरिया गया है. यही हाल आसमान छूते सब्जियों के दामों, दूध, फल और अन्य खाद्य सामग्रियों पर भी पड़ा है. पिछले तीन माह में खाद्य महंगाई में तेज बढ़ोतरी देखी है, इसका मुख्य कारण कुछ फसलों को नुकसान होना माना जा रहा है.
वहीं फलों और सब्जियों के तहत कई अन्य वस्तुओं की कीमतों में मुख्य रूप से हाल के दिनों में मौसम की गड़बड़ी के कारण अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई. जानकारों को कहना है कि अनियमित मौसम और बारिश के पैटर्न के जलवायु जोखिम के साथ-साथ खाद्यान्न महंगाई में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप में खाद्य कीमतों में भारी झटका लगा.
थाली से गायब हो रहीं दाल और सब्जियां
खराब मौसम और कई कारणों के चलते फल-सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. इसके कारण आमलोगों की थाली से दाल व सब्जियां गायब होती जा रही हैं. पिछले एक माह में सब्जियों की कीमत में तीन गुण इजाफा हो चुका है. दो दिन तक सौ रुपये प्रति किलो बिकने वाला टमाटर 120 रुपये किलो के स्तर पर पहुंच गया है. यही कारण है कि अधिकांश लोग टमाटर का दाम सुनते ही आगे बढ़ जा रहे है. सब्जी मंडी में चटैल 240 रुपये किलो बिक रहा है. इसी तरह अन्य सब्जियां तो 80 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है.
ऐसे बढ़ती-घटती है महंगाई
व्यापारियों का कहना है कि महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है. अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे, तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे. ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी. इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है. सीधे शब्दों में कहें, तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है. वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी.
सब्जियों की कीमत (प्रति किलो)
- टमाटर – 100- 120
- चठैल – 240
- बैगन – 60
- आलू – 40- 45
- प्याज – 45- 50
- भिंडी – 80
- नेनुआ- 60
- परवल- 60- 80
- बोरा- 80
- हरा मिर्च- 100
- धनिया पत्ती- 200
- केला बतीसा- 50- 60 (दर्जन)
- अरुई – 60
- कुंदरी – 40
- करैला- 60
- लाल साग- 60
- पालक साग – 60
ड्राई फ्रूट्स की कीमत (प्रति किलो)
- ड्राई फ्रूट्स – अब , पहले
- चिलगोजा- 8500- 10000, 7500- 9000
- काजू – 900- 1200 , 700- 1000
- मखाना- 1200- 1500, 1000
- बादाम 750 – 1000, 650 से 900
- अंजीर – 1150 – 000, 950 – 000
- अखरोट – 1200, 900
- पिस्ता – 1500, 1150
एक नजर में खाद्यान्न की कीमत (प्रति किलो)
- खाद्यान्न – अब – पहले
- चावल सामान्य – 45-50 – 40- 45
- खुला आटा- 34- 32
- चीनी- 47- 45
- लहसुन- 300- 200
- हल्दी- 250- 150
- काली मिर्च – 900- 800
- सरसों तेल- 130- 160- 120- 150
- रिफाइंड तेल- 115 – 150- 105- 140
- अरहर दाल- 180- 160
- चना दाल – 95- 75
- मूंग दाल – 130- 120
- मसूर दाल – 90- 75
- चना – 90- 75
- सत्तू- 180- 160
- बेसन- 160- 140
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क्या बोले उपभोक्ता
- जीवन जीने के लिए बेहद जरूरी दैनिक उपभोग की वस्तुओं व पेट भरने वाली रसोई के बढ़ते बजट ने आम व खास सभी वर्ग के लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. हर व्यक्ति का घरेलू खर्चे का बजट पूरी तरह से गड़बड़ा सा गया है. सबसे अधिक तो साग-सब्जी की कीमत में आग लगी है. – काजल भारती, कुर्जी
- सरकार कम से कम दैनिक उपभोग की बेहद आवश्यक वस्तुओं के दामों में कमी करके जल्द से जल्द महंगाई से आम आदमी को राहत प्रदान करें. महंगाई के कारण एक ठीक-ठाक मध्यमवर्गीय परिवार के सामने भी अपने घर को चलाना बेहद कठिन कार्य होता जा रहा है. – बसंती देवी, कदमकुआं
- मौसम आने वाले महीनों में खाद्य महंगाई के लिए एक संभावित कारक बन सकता है. पिछले तीन माह में खाद्य महंगाई में तेज बढ़ोतरी देखी है, इसका मुख्य कारण कुछ फसलों को नुकसान और मौसम का अनिश्चित मिजाज है. खाद्य पदार्थ, खाद्य तेल की बढ़ती कीमतें सबके सामने हैं. – रमेश तलरेजा, किराना कारोबारी
- कम से कम दो माह तक सब्जियों की कीमत कमोबेश यही रहेगा. बरसात के कारण फसल तेजी से खराब हो रहे हैं. अधिकांश सब्जियां बंगाल, झारखंड, हरियाणा, दिल्ली से आ रहा है. कीमत बढ़े होने के कारण कारोबार पर काफी असर पड़ रहा है. इसके कारण माल भी कम मांग रहे हैं. – अनिल कुमार, सब्जी के थोक कारोबारी