Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव के चौथे चरण का बिगुल बज गया है. मिथिलांचल की दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर सुरक्षित और इससे सटे बेगूसराय व मुंगेर लोकसभा सीट के लिए नामांकन का कार्य शुरू हो गया है. इस चरण में वैसे तो सभी पांच सीटों पर 13 मई को मतदान होगा, लेकिन चुनावी तपिश अभी से बढ़नी शुरू गयी है. इस चरण में केंद्र सरकार के दो मंत्री गिरिराज सिंह और नित्यानंद राय के साथ ही जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. यह सभी सीटें फिलहाल एनडीए की झोली में है. इस बार महागठबंधन ने इन सीटों को एनडीए से झटकने के लिए चुनावी चक्रव्यूह रचा है.
दरभंगा में गोपालजी की टक्कर ललित यादव से
दरभंगा लोकसभा क्षेत्र में अल्पसंख्यक मतदाताओं की अच्छी तादाद है. यह क्षेत्र पूर्व में कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. लेकिन, पिछले 10 चुनावों से कांग्रेस इस सीट से बेदखल है. 1980 में कांग्रेस के टिकट पर हरिनाथ मिश्र यहां से अंतिम सांसद हुए. पिछले तीन चुनावों से भाजपा यहां काबिज रही है. दरभंगा लोकसभा सीट के तहत गौरा बौराम, बेनीपुर,अलीनगर, दरभंगा ग्रामीण, दरभंगा और बहादुरपुर विधानसभा की सीटें आती हैं. इनमें दरभंगा ग्रामीण को छोड़ बाकी सभी विधानसभा क्षेत्रों में एनडीए के विधायक हैं. महागठबंधन ने इस बार राजद के दरभंगा ग्रामीण के विधायक ललित यादव को उम्मीदवार बनाया है. अल्पसंख्यक मतदाताओं को गोलबंद करने के लिए महागठबंधन से राजद ने इस इलाके के चर्चित नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मो अली अशरफ फातमी को मधुबनी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. राजद को उम्मीद है कि दरभंगा में उसे माय समीकरण के अलावे सहनी और कुशवाहा मतदाताओं के वोट मिलेंगे. वहीं एनडीए ने इस बार मौजूदा सांसद गोपालजी ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है. यहां एनडीए को अति पिछड़ा, पिछड़ा और सवर्ण मतदाताओं पर भरोसा है.
उजियारपुर में नित्यांनद का मुकाबला पूर्व मंत्री आलोक मेहता
उजियारपुर लोकसभा सीट से एनडीए की तरफ से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भाजपा उम्मीदवार हैं. उनके मुकाबले राजद ने राज्य के पूर्व मंत्री आलोक मेहता को उम्मीदवार घोषित किया है. उजियारपुर लोकसभा सीट का गठन 2009 में नये परिसीमन के बाद से हुआ है. 2009 से अब तक हुए तीन आम चुनावों में यहां से राजद या कांग्रेस अपना खाता नहीं खोल सकी है. 2009 के चुनाव में जदयू की अश्वमेघा देवी चुनाव जीतने में सफल रहीं. बाकी के दो चुनाव 2014 और 2019 में नित्यानंद राय भाजपा के टिकट पर जीते. नित्यानंद राय फिलहाल केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पद पर हैं. इस बार उनका मुकाबला पिछली बार की तरह राजद के आलोक मेहता से हो रहा है. आलोक मेहता कुशवाहा बिरादरी से आते हैं. राजद की निगाहें अपने माय समीकरण के अलावा कुशवाहा और सहनी मतदाताओं की ओर भी लगी है. उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में सवर्ण मतदाता भी हैं. इस क्षेत्र में पातेपुर, उजियारपुर, मोरवा, सरायरंजन, मोहिउद्दीनगर और विभूतिपुर विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें उजियारपुर और मोरवा में राजद के विधायक हैं. विभूतिपुर में माकपा का कब्जा है. खुद राजद उम्मीदवार आलोक मेहता उजियारपुर से विधायक हैं.
समस्तीपुर में एनडीए की शांभवी पहली बार उतरी हैं चुनावी रण में
समस्तीपुर सुरक्षित सीट से एनडीए से लोजपा रामविलास की शांभवी चौधरी उम्मीदवार हैं. महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस की झोली में गयी है. कांग्रेस ने अब तक यहां से अपने उम्मीदवार तय नहीं किये हैं. शांभवी चौधरी इस बार के लोकसभा चुनाव में दलीय प्रत्याशियों में सबसे कम उम्र की उम्मीदवार हैं. उनके पिता अशोक चौधरी राज्य सरकार में मंत्री हैं, जबकि ससुर पूर्व आइपीएस अधिकारी किशाेर कुणाल हैं. इधर, कांग्रेस में जिन तीन नामों की चर्चा है उसमें सबसे ऊपर डॉ अशोक कुमार, सन्नी हजारी और पूर्व आइपीएस अधिकारी बीके रवि के नाम हैं. सन्नी हजारी के पिता महेश्वर हजारी राज्य सरकार में मंत्री हैं. सन्नी हजारी हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए है. उनके दादा स्व रामसेवक हजारी इस क्षेत्र से जब इसका नाम रोसड़ा हुआ करता था, सांसद रहे हैं. समस्तीपुर सुरक्षित लोकसभा सीट के तहत कुशेश्वर स्थान, हायाघाट, कल्याणपुर, वारिसनगर, समस्तीपुर और रोसड़ा विधानसभा की सीटें आती हैं. इनमें एक समस्तीपुर विधानसभा सीट पर राजद का कब्जा है. वहीं बाकी की पांच सीटों पर एनडीए के विधायक हैं.
बेगूसराय में गिरिराज का मुकाबला सीपीआइ के अवधेश राय से
बेगूसराय की सीट पर एनडीए से केंद्रीय मंत्री भाजपा के गिरिराज सिंह उम्मीदवार हैं. महागठबंधन में यहां से सीपीआइ के अवधेश कुमार राय को प्रत्याशी घोषित किया गया है. इस बार एनडीए को जहां पीएम मोदी के चेहरे और गिरिराज सिंह के फायर ब्रांड नेता होने से लाभ मिलने की उम्मीद है. वहीं, महागठबंधन से सीपीआइ उम्मीदवार अवधेश राय को राजद, कांग्रेस और वामदलों के साझा उम्मीदवार होने का लाभ मिलने की उम्मीद की जा रही है. मुकाबला इस बार कड़ा है. बेगूसराय की सीट पर 1999 में कांग्रेस को सफलता मिली थी, जब राजो सिंह यहां से सांसद निर्वाचित हुए थे. 2004 में जदयू के ललन सिंह यहां से चुनाव जीते. इसके बाद 2009 में जदयू के ही मोनाजिर हसन और 2014 में भाजपा के भोला सिंह को बेगूसराय की जनता ने चुनाव जीता कर लोकसभा भेजा. 2019 में गिरिराज सिंह को जीत मिली और वे इस बार भी उम्मीदवार हैं. बेगूसराय लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की सात सीटें आती हैं.इनमें चेरियाबरियारपुर(राजद), बछवाड़ा(भाजपा), तेघरा(सीपीआइ), मटिहानी(जदयू), साहेबपुर कमाल(राजद), बेगूसराय (भाजपा) और बखरी (सीपीआइ) विधानसभा की सीटें हैं. पिछली दफा सीपीआइ ने यहां से जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया था. दो लाख 69 हजार वोट लाकर कन्हैया कुमार दूसरे स्थान पर रहे थे. 2019 के चुनाव में यहां से राजद ने तनवीर हसन को अपना उम्मीदवार बनाया था. वे तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें एक लाख 98 हजार के करीब वोट मिले.
मुंगेर में ललन सिंह के सामने अनिता देवी महतो
वहीं, मुंगेर लोकसभा सीट पर जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह उम्मीदवार हैं. उनके मुकाबले राजद ने यहां बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनिता देवी को उम्मीदवार बनाया है. ललन सिंह यहां से दो बार पूर्व में सांसद रह चुके हैं. पिछली दफा 2019 के आम चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की नीलम देवी को पराजित किया था. वहीं 2009 में राजद के रामबदन राय को हरा कर लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. 2004 में राजद के जयप्रकाश नारायण यादव भी यहां से चुनाव जीत चुके हैं. इस बार राजद ने अनिता देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है. राजद की कोशिश यहां पिछड़ावाद के नाम पर वोट बटोरने की है. जानकार बताते हैं कि माय समीकरण के अलावा काेइरी और धानुक मतदाताओं की गोलबंदी असरकारक हो सकती है. दूसरी ओर एनडीए को ललन सिंह के कद और पीएम मोदी की छवि के अलावा अति पिछड़ी जाति के मतदाताओं पर भरोसा है. ललन सिंह के उम्मीदवार होने से पिछड़ी जाति से आने वाले कुर्मी जाति के मतदाताओं का भी रूझान देखने लायक होगा. मुंगेर लोकसभा सीट के तहत मुंगेर (भाजपा), मालपुर(कांग्रेस), सूर्यगढ़ा(राजद), लखीसराय(भाजपा) और पटना जिले के मोकामा(राजद) और बाढ़(भाजपा) विधानसभा का क्षेत्र आता है.
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