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IGIMS के डॉक्टरों के लिए फरमान, फेसबुक और वॉट्सऐप पर न करें अपने काम का प्रचार, चिकित्सकों में आक्रोश

संस्थान के भीतर अगर किसी भी विभाग के डॉक्टर किसी विषय पर शोध कर रहे हैं, तो उस शोध के बारे में उनको किसी को नहीं बताना है. अगर फेसबुक, वाट्सएप या मीडिया को बताना है, तो उसके पहले उन्हें संस्थान प्रशासन से अनुमति लेनी होगी

पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान ने अपने चिकित्सकों के लिए फरमान जारी किया है, जिनमें सभी चिकित्सकों को निर्देश दिया गया है कि वह अपने काम का प्रचार फेसबुक, वाट्सएप पर नहीं करें. ऐसे करने पर चिकित्सकों को स्पष्टीकरण देना होगा और आइजीआइएमएस प्रशासन की ओर से उन पर कार्रवाई की जायेगी. निर्देश में केंद्रीय सिविल सेवाएं (आचरण) नियमावली 1964 का हवाला दिया गया है, जिसके बाद संस्थान के चिकित्सकों में काफी आक्रोश है. वह इस निर्देश को गलत बता रहे है.

डॉक्टरों की आजादी पर पाबंदी

चिकित्सकों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा है कि यह संस्थान में काम करने वाले सभी डॉक्टरों की आजादी पर पाबंदी है. अगर कोई चिकित्सक अच्छा काम कर रहा है, तो उसको अपने काम का प्रचार करने में क्या खराबी है.

बिना अनुमति के शोध का भी नहीं करेंगे प्रचार- प्रसार

संस्थान के भीतर अगर किसी भी विभाग के डॉक्टर किसी विषय पर शोध कर रहे हैं, तो उस शोध के बारे में उनको किसी को नहीं बताना है. अगर फेसबुक, वाट्सएप या मीडिया को बताना है, तो उसके पहले उन्हें संस्थान प्रशासन से अनुमति लेनी होगी. उसके बाद ही वह शोध के संबंध में बता सकते हैं.

क्या कहता है नियम

केंद्रीय सिविल सेवाएं (आचरण) नियमावली 1964 के मुताबिक कोई भी कर्मचारी किसी भी रूप में प्रेस, मीडिया का संचालन या हिस्सा नहीं बन सकता है. वहीं, किसी भी कर्मी के बयान से केंद्र व राज्य सरकार के बीच किसी तरह की गलतफहमी पैदा नहीं किया जा सकता है. चिकित्सकों के काम काज को लेकर अलग से कोई नियमावली नहीं है.

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डॉक्टरों ने मरीज के पेट से निकाला आठ किलो का ट्यूमर

आइजीआइएमएस के डॉक्टरों ने नवादा जिले के 55 साल के एक मरीज के पेट से करीब आठ किलो वजन का बड़ा ट्यूमर निकाला है. ट्यूमर बड़ा होने के कारण ऑपरेशन करीब तीन घंटे तक चला. सबसे बड़ी चुनौती ट्यूमर को फटने से बचाना था. आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट सह डिप्टी डायरेक्टर डॉ मनीष मंडल ने कहा कि संस्थान के स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट (एससीआइ) के ऑन्कोलॉजी सर्जरी विभाग में डॉ शशि पवार की देखरेख में सफल ऑपरेशन किया गया. मरीज अब पूरी तरह से ठीक है.डॉ शशि पवार ने बताया कि मरीज के पेट में दर्द होने के साथ सांस लेने में तकलीफ थी और वह अपने दैनिक कार्य करने में भी सक्षम नहीं था.

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