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Kargil vijay diwas 2024: कारगिल युद्ध शुरू होने की पूरी कहानी, जब बिहार रेजिमेंट ने जवाबी हमले से किया था शंखनाद

करगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना की बिहार रेजिमेंट के जवानों ने बड़ी भूमिका निभाई थी. उन्होंने अग्रिम पंक्ति में प्राणों का पहला बलिदान दिया था.

अनुपम कुमार की रिपोर्ट…

Kargil vijay diwas 2024: कारगिल युद्ध के दौरान अग्रिम पंक्ति में प्राणों का पहला बलिदान बिहार रेजिमेंट प्रथम बटालियन के मेजर एम. सरावनन और उनकी टुकड़ी में शामिल नायक गणेश प्रसाद यादव, सिपाही प्रमोद कुमार, सिपाही ओम प्रकाश गुप्ता और हवलदार हरदेव प्रसाद ने दिया था. 66 दिनों तक चले करगिल युद्ध में विजय के लिए बिहार रेजिमेंट के 18 सैनिकों ने जान देकर देश की आन-बान और शान की रक्षा की थी.

गोली लगने के 11 दिनों बाद मौत को मात देकर वापस लौटे

बिहार रेजिमेंट के नायक शत्रुघ्न सिंह दुश्मनों की गोली लगने के 11 दिनों बाद मौत को मात देकर वापस लौटे थे. बिहारवासियो के लिए बेहद गर्व की बात है कि बिहार रेजिमेंट की प्रथम बटालियन को 28 वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इनमें चार वीर चक्र और छह सेना मेडल के साथ बैटल ऑनर आफ बटालिक और थिएटर ऑनर आफ करगिल का सम्मान भी शामिल है.

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रेजिमेंट को जुबर पहाड़ी पर कब्जे की दी गयी थी जिम्मेदारी

कारगिल मे 1999 के वसंत के दौरान ही आतंकियो के वेश मे पाकिस्तानी फौजों ने भारतीय सीमा मे दाखिल होकर कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर अपने ठिकाने बना लिये थे. उनका उद्देश्य इस क्षेत्र के सड़क मार्ग को काटकर इसे स्थायी रूप से अपने कब्जे मे ले लेना था. भारतीय फौज को करगिल की पहाड़ियों पर दुश्मनों के कब्जे की जानकारी 17 मई 1999 को हुई. उन दिनों बिहार रेजिमेंट की प्रथम बटालियन करगिल जिले के बटालिक सेक्टर में पहले से ही तैनात थी. लिहाजा बिहार रेजिमेंट को जुबर पहाड़ी को अपने कब्जे मे लेने की जिम्मेदारी सौपी गयी.

मेजर सरवनन के रॉकेट लॉंचर हमले से हिंदुस्तान ने किया शंखनाद

21 मई को मेजर एम सरवनन अपनी टुकड़ी के साथ रेकी पर निकले थे. करीब 14,229 फीट की ऊंचाई पर बैठे दुश्मनों ने फायरिंग शुरू कर दी. मेजर सरावनन ने 90 एमएम राकेट लांचर अपने कंधे पर उठाकर दुश्मनों पर हमला बोल दिया. पाकिस्तानी दुश्मनों को इससे भारी नुकसान हुआ. पहले ही हमले में पाक के दो घुसपैठिए मारे गये. यहीं से करगिल युद्ध की शुरूआत हो गयी. अग्रिम पंक्ति में युद्ध के दौरान नायक गणेश प्रसाद यादव, सिपाही प्रमोद कुमार, ओम प्रकाश गुप्ता और हरदेव सिंह शहीद होते गये. नायक शत्रुघ्न सिंह को गोली लग चुकी थी. बिहार रेजीमेट के जांबाज सैनिकों ने एक जुलाई को जुब्बार पहाड़ी पर विजय प्राप्त कर कर बिहार रेजिमेंट की वीरता का ध्वज लहरा दिया.

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