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जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग से मजबूत और टिकाऊ इन्फ्रास्ट्रक्चर बनेगा

आइआइटी पटना के सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग की ओर से ‘स्ट्रक्चरल और जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में प्रगति’ विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन गुरुवार को हुआ.

-आइआइटी पटना में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन

संवाददाता, पटना

आइआइटी पटना के सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग की ओर से ‘स्ट्रक्चरल और जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में प्रगति’ विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन गुरुवार को हुआ. कार्यक्रम का उद्घाटन कॉलेज के निदेशक प्रो टीएन सिंह ने किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो टीएन सिंह ने स्ट्रक्चरल विकास में जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और दोनों क्षेत्रों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि हम मजबूत और टिकाऊ इन्फ्रास्ट्रक्चर बना सकें. उन्होंने बताया कि जियोटेक्निकल और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग कैसे एक साथ काम करती हैं, जिससे डिजाइनों को वास्तविकता में बदला जा सके, और इस तरह के सम्मेलन से निर्माण में नवाचार की जानकारी मिलेगी. एआइसीटीइ के अध्यक्ष प्रो टीजी सिताराम ने अयोध्या में राम मंदिर के जियोटेक्निकल डिजाइन पर चर्चा की, जिसे 1,000 वर्षों तक टिकाऊ बनाने के लिए विकसित किया गया है, जिसमें उन्नत सेटलमेंट नियंत्रण, लोड ट्रांसफर और पर्यावरणीय टिकाऊपन पर विचार किये गये.

सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कैरियर निर्माण में अपार संभावनाएं:

इंडियन कान्क्रीट इंस्टिट्यूट के डॉ वी रामचंद्र ने पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए टिकाऊ कंक्रीट समाधान की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने इको-फ्रेंडली सामग्री और नवीन निर्माण तकनीकों में हो रही प्रगति पर प्रकाश डाला, जो कार्बन फुटप्रिंट को कम करते हुए संरचनाओं की टिकाऊपन को बढ़ाती हैं. डियन सोसायटी ऑफ अर्थ-क्वैक टेक्नोलॉजी के प्रो बीके माहेश्वरी ने निर्माण उद्योग के महत्व पर चर्चा की और कहा कि भारत सीमेंट उद्योग के क्षेत्र में दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, और यहां निर्माण उद्योग का कुल जीडीपी में 8% योगदान दे रहा है. इस अवसर पर उन्होंने छात्रों और शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कैरियर निर्माण में अपार संभावनाएं हैं. डॉ शाहब यासरेबी, डॉ अमित कुमार वर्मा, डॉ वैभव सिंघल, अरविंद प्रकाश झा के साथ अन्य लोग मौजूद थे.

कल तक आयोजित कार्यक्रम में प्रस्तुत होंगे 170 से अधिक पेपर

आठ फरवरी तक आयोजित हो रहे इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 24 विशेष सत्र, 24 की-नोट टॉक और 170 से ज्यादा पेपर प्रस्तुत होंगे. देश और विदेश के अकादमिक, उद्योग और सरकारी क्षेत्र के 250 से अधिक डेलीगेट्स इसमें भाग ले रहे हैं. यह सम्मेलन कंस्ट्रक्शन और जियो-टेक्निकल इंजीनियरिंग क्षेत्र के विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और उद्योग के पेशेवरों को नवीनतम शोध और प्रगति पर विचार साझा करने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा.

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