सुबोध कुमार नंदन, पटना फरवरी माह से प्लाइवुड और वुड बेस्ट बोड् र्स उत्पाद पर आइएसआइ मार्का अनिवार्य हो जायेगा. इस संबंध में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने आदेश जारी किया है. यह आदेश वुड बेस्ड बोड्र्स, प्लाइवुड और लकड़ी के फ्लैश डोर शटर पर यह लागू होगा. इसके लिए भारतीय मानक ब्यूरो से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा. कानून का उल्लंघन करने वाले यूनिट को कम-से-कम दो लाख रुपये का जुर्माना और दो साल की सजा का प्रावधान किया गया है. जानकारी के अनुसार राज्य में 400 से अधिक छोटे- बड़े प्लाइवुड और बुड वेस्ट बोडर्स तैयार करने वाले यूनिट हैं. इनमें से केवल 45 यूनिट ने ही भारतीय मानक ब्यूराे से लाइसेंस लिया है. यानी सूबे में 350 से अधिक यूनिट बिना लाइसेंस के चल रहे हैं. ये यूनिट पटना, फतुहा, हाजीपुर, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी में चल रहे हैं. भारतीय मानक ब्यूरो के निदेशक एसके गुप्ता ने बताया कि बिहार में प्लाइवुड की विभिन्न श्रेणियों के तहत प्लाइवुड, ब्लाॅक बोर्ड, दरवाजा, सेंटरिंग प्लाइ, मरीन प्लाइ आदि का उत्पादन हो रहा है. 11 फरवरी से बुड बेस्ड बोर्ड्र्स (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश, 2024 लागू होगा. हालांकि, लघु उद्योग को लाइसेंस लेने में छूट दी गयी है. इस पर यह आदेश 11 मई से लागू होगा. वहीं, प्लाइवुड और लकड़ी के फ्लैश डोर शटर गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश 28 फरवरी से लागू होगा. लेकिन, लघु उद्योग पर यह आदेश 28 मई से प्रभावी होगा. निदेशक एसके गुप्ता ने बताया कि इसके पूर्व पिछले पूरे साल लाइसेंस लेने और आइएसआइ मार्का के संबंध में जागरूकता अभियान चला गया था. अब बिना आइएसआइ मार्का प्लाइवुड और उससे संबंधित उत्पाद के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाया गया है. उन्होंने बताया कि कानून का उल्लंघन करने वाले यूनिट को कम-से-कम दो लाख रुपये का जुर्माना और कम-से-कम दो साल की सजा का प्रावधान किया गया. दोबारा गलती करने पर पांच लाख रुपये का जुर्माना और पकड़े गये सामान के मूल्य का 10 गुना जुर्माना देना पड़ सकता है.
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