Kawad Yatra: पटना. यूपी में कांवड़ यात्रा मार्ग पर मौजूद ढाबों और ठेलों पर मालिकों के नाम लिखने के आदेश ने सीएम योगी आदित्यनाथ को विरोधियों के साथ-साथ अपनों के भी निशाने पर ला दिया है. यूपी की योगी सरकार की हर तरफ से आलोचना हो रही है. जहां विपक्ष इस मामले को लेकर योगी सरकार पर निशाना साध रहा है, वहीं अब एनडीए के घटक दल भी इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं. एनडीए का हिस्सा जदयू ने फैसले की आलोचना की है. साथ ही यूपी सरकार से इस फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है.
कम न की जाये नरेंद्र मोदी की कीर्ति
पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि इससे बड़ी यात्रा बिहार में निकलती है. वहां इस तरह का कोई आदेश नहीं है. यह आदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति और सिद्धंत के खिलाफ है. प्रधानमंत्री की सबका साथ-सबका-विकास- सबका विश्वास वाले नारे से यह मेल नहीं खाता है. पीएम मोदी की जो भारतीय समाज और एनडीए के बारे व्याख्या है, उसमें ये लगाए गए प्रतिबंध, पीएम मोदी के सिद्धंत के विरुद्ध हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस नियम पर पुनर्विचार हो तो अच्छा है. हम एनडीए को खुशहाल और मजबूत होते देखना चाहते हैं. पीएम मोदी की कीर्ति कम ना हो, यह चाहते हैं. इसलिए चाहते हैं कि यह नियम वापस हो. इस नियम पर समीक्षा होनी चाहिए.
रालोद ने भी फैसले को बताया गलत
जदयू के अलावा भाजपा के एक और सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक दल ने भी इस फैसले को गलत बताया है. आरएलडी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रमुख रामाशीष राय ने योगी सरकार की इस एडवाइजरी पर कहा कि उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को अपनी दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखने का निर्देश देना जाती और संप्रदाय को बढ़ावा देने वाला कदम है. प्रशासन इसे वापस लें यह गैर संवैधानिक फैसला है. हम चाहते हैं कि सरकार इस फैसले पर फिर से विचार करे और ऐसे फैसले को वापस लेकर समाज में सौहार्द का वातारण बनाने का प्रयास करे.