Bihar News: दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने सोमवार को अपना पदभार संभाला. जिस कुर्सी पर पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल बैठते थे, उसे उन्होंने खाली रखा है. उनके इस कृत्य पर अब इस पर सियासत शुरू हो गई है. इस घटना पर जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में यह पहला अवसर है जब विधायकों के द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री उसके के लिए निर्धारित कुसी पर ना बैठा हो. यह चापलूसी और चाटुकारिता की चरम सीमा है. वहीं इस मामले पर राजद ने अलग रुख अपनाया है. राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा, “दिल्ली के मुख्यमंत्री आतिशी समझदार हैं और उनके अंदर कई भावनाएं निहित है. राजकाज चलाने वाला व्यक्ति अगर अनुकरण करता है और अच्छी चीजों को मानक मानते हुए उसे सदैव अपने बगल में रखता है तो उससे उसे शक्ति मिलती है. अरविंद केजरीवाल लंबे समय तक लगातार दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे और आप पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं. स्वाभाविक तौर पर जो अनुकरणीय काम उन्होंने दिल्ली के विकास के लिए किया होगा वो आतिशी के लिए अनुकरणीय होगा.”
इसमें गलत क्या है
शक्ति यादव ने आगे कहा, “अगर उन्होंने अपने बगल में एक कुर्सी को खाली रखा है तो इसमें गलत क्या है। उन्होंने प्रेरणा के लिए कुर्सी लगाई है। मेरा मानना है जो अच्छा काम करे उसे अनुकरणीय मानना चाहिए। आज भी लोग कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल को मानक मानते हैं। अगर उनके अंदर भरत भाव है तो यह सुंदर संकेत है और सात्विक भी है। मेरा मानना है कि अगर राजकाज चलाने के लिए सात्विक भाव आ जाए तो राजनीति में एक नई निखार आती है।”
बीजेपी ने किया कटाक्ष
इस मामले पर भाजपा के वरिष्ठ नेता टॉम वडक्कन ने कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा, “लोकसभा चुनाव में आप का सफाया हो गया, लेकिन इससे कोई सबक नहीं लिया. अभी तो उन्होंने कुर्सी खाली रखी है, हो सकता बाद में उनकी चप्पल रखें, जैसे रामायण में हुआ था. आतिशी नाटक और नौटंकी में नंबर वन है. दिल्ली की नई मुख्यमंत्री ऐसी चालें चलती रहेंगी, क्योंकि उनकी अपनी कोई हैसियत नहीं है और वह अरविंद केजरीवाल के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी हैं. वह एक कठपुतली सीएम हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि रिमोट कंट्रोल केजरीवाल के हाथ में है. जब तक उन्हें अदालत की तरफ से दोषी नहीं ठहराया जाता, यह नाटक चलता रहेगा.”
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