राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जेल में बंद हों या फिर अस्पताल के बेड पर, राजनीति उनके साथ हमेशा चलती रहती है. इस बार अस्पताल से लेकर दिल्ली में बेटी सांसद मीसा भारती के आवास पर जमे लालू प्रसाद ने बिहार में महागठबंधन सरकार की मंजूरी दे दी. माना जा रहा है कि जदयू का शीर्ष नेतृत्व सीधा राजद प्रमुख लालू प्रसाद के संपर्क में रहा था.
एक दिन पहले सोमवार तक राजद और जदयू के वरिष्ठ नेता किसी भी नये समीकरण को नकारते रहे. लेकिन, इसके इतर परदे के पीछे से पूरी गतिविधियां चलती रहीं. दिल्ली में बैठे लालू प्रसाद की सहमति से ही राजद ने महागठबंधन सरकार के फार्मूले तय किये. मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार को स्वीकार करना, मंत्री पद की हिस्सेदारी, विधानसभा अध्यक्ष का पद और अन्य चीजें उनकी जानकारी में ही होती रही.
जानकार बताते हैं कि इस कहानी की पटकथा पहले ही लिखी जा रही थी. इसी साल छह जुलाई को लालू जब बीमार होकर पटना के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती थे, तब नीतीश उनसे मिलने गये थे. वहां पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या लालू जी का इलाज सरकारी खर्चे पर होगा. इस पर नीतीश ने कहा कि ” यह भी पूछने की कोई बात है. पहले से ही नियम बना हुआ है. लालू प्रसाद का इलाज सरकारी खर्चे पर कराया जायेगा. युवा काल से ही हम इनके साथ हैं. उनकी बीमारी की जैसे ही जानकारी हुई, हम उन्हें देखने चले आये ”. उस वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कही गयी इन बातों को लेकर किसी ने सोचा भी नहीं था कि 30 दिनों के भीतर ही जदयू-और राजद एक साथ आ जाएंगे और सरकार की सूरत बदल जाएगी.
पांच जुलाई से पहले किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि सत्ता में इतना बड़ा बदलाव हो जायेगा. राजद के सुप्रीम नेता लालू प्रसाद पटना के जिस पारस अस्पताल में अपना इलाज करा रहे थे, उसी में वह राजनीति बदलाव की पटकथा भी लिख रहे थे. पर्दे के पीछे रहकर भी बिहार पूरी राजनीति बदलकर सत्ता हासिल कर ली.
पांच जुलाई को लालू प्रसाद यादव के पास पीएम मोदी, कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फोन पहुंचता है. सीएम पारस अस्पताल में भर्ती लालू प्रसाद का इलाज दिल्ली एम्स में कराने की जानकारी देते हैं. अगले दिन ही लालू से मिलने पारस अस्पताल पहुंच जाते हैं. सरकार के खर्च पर पूर्व मुख्यमंत्री को एयरलिफ्ट के जरिये एम्स भेज दिया जाता है. इसके बाद लालू द्वारा लिखी गयी सियासी पटकथा को हकीकत में बदलने के लिये महागठबंधन और जदयू से कद्दावर नेता अपनी- अपनी भूमिका निभाने लग जाते हैं.
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लालू प्रसाद जिस समय एम्स में भर्ती थे उसी समय पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी अपना चेकअप कराने एम्स जाते हैं. जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह भी दिल्ली इलाज के लिए पहुंचे थे. इसके बाद राजद, जदयू , वामदल और कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं की दिल्ली एम्स में चहलकदमी बढ़ जाती है. राजद और जदयू नेताओं का आपस में तालमेल बढ़ जाने के बाद बड़े राजनीतिक बदलाव की चर्चा शुरू हो जाती है.