लोजपा में दो फाड़ के बीच अब पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की जयंती नजदीक है. लोक जनशक्ति पार्टी के दो खेमे अभी मैदान पर आमने-सामने हैं. चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस लोजपा पर बर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस बीच दोनों खेमें रामविलास पासवान की जयंती को लेकर बिहार में अपनी-अपनी तैयारी तेज कर रहे हैं. 5 जुलाई को लेकर बिहार की सियासत गरमायी हुई है. इस बीच चिराग पासवान के आशीर्वाद यात्रा पर उनके चाचा पशुपति पारस ने सवाल उठाया है.
आगामी 5 जुलाई को पार्टी के संस्थापक दिवंगत रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) की जयंती मनायी जानी है. दो खेमों में बंटी लोजपा इसकी तैयारी में जुटी है. इस दिन के लिए पारस गुट जहां पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बड़े पैमाने पर जयंती मनाने की तैयारियों में लगा है.वहीं चिराग पासवान पारस के संसदीय क्षेत्र हाजीपुर से आशीर्वाद यात्रा की शुरूआत कर पूरे बिहार में जनता के बीच जाएंगे.
हाजीपुर पशुपति पारस का संसदीय क्षेत्र है. न्यूज 18 के अनुसार, उन्होंने चिराग के इस कार्यक्रम पर सवाल उठाया है और कहा कि इसका नाम आशीर्वाद यात्रा नहीं, बल्कि श्रद्धांजलि सभा होना चाहिए. पारस ने आशीर्वाद यात्रा के नाम पर सवाल उठाते हुए इसके नाम से असहमति जतायी है. उन्होंने न्यूज़ 18 से बात करते हुए चिराग के इस यात्रा को हाजीपुर से शुरू करने पर भी सवाल उठाया. उन्होंने चिराग़ पासवान को जमुई का सांसद बताते हुए इस यात्रा को जमुई से शुरुआत करने की सलाह दी.
दरअसल हाजीपुर रामविलास पासवान की कर्मभूमि रही है. इस सीट से रामविलास कई बार सांसद रह चुके हैं. वहीं दावा किया जा रहा है कि जनता के बीच आकर चिराग यहां शक्ति प्रदर्शन करेंगे.
फर्स्ट बिहार न्यूज से बात करते हुए चिराग ने कहा कि पारस चाचा के संसदीय क्षेत्र से इसे शुरू करने की बात मेरे उद्देश्य को बहुत छोटा कर देगा. मेरे पापा की वो कर्मभूमि है. उन्होंने हाजीपुर की धरती को अपनी मां का दर्जा दिया है. मेरा फर्ज बनता है कि मैं सबसे पहले वहां जाकर आशीर्वाद मांगू. वहीं इस यात्रा को लेकर पारस का कहना है कि अगर चिराग को यह लगता है कि वो रामविलास जी के पुत्र हैं इसलिए जनता का मोमेंट उनके साथ रहेगा तो वो गलत सोच रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि जमीनी सच्चाई कुछ और है.
Posted By: Thakur Shaktilochan