लोकसभा में शुक्रवार को बिहार में एम्स का मामला उठा. काराकाट से भाकपा माले के राजाराम सिंह और राजद के बक्सर के सांसद सुधाकर सिंह ने बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं के बदहाल होने का दावा करते हुए राज्य में कम से कम तीन एम्स खोलने की मांग की.
भाकपा माले राजाराम सिंह ने दरभंगा के साथ ही पूर्णिया, शाहाबाद इलाके में एक तथा गया में भी एम्स खोलने की मांग की. दोनों दलों के सांसदों ने केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान की मांगों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए यह मांग की.
राजद के सुधाकर सिंह ने कहा कि 2024-25 के केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 87,656.90 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा अधिक है. मुद्रास्फीति को ध्यान में रखा जाए तो यह वृद्धि नगण्य है. उन्होंने बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि दरभंगा में एम्स खोलने की घोषणा तो हो गयी है, लेकिन इस दिशा में काम शुरू नहीं हो सका है.
सुधाकर सिंह ने कहा कि बिहार के चार लाख मरीज प्रतिवर्ष इलाज के लिए राष्ट्रीय राजधानी स्थित एम्स आते हैं. उन्होंने बिहार में तीन और एम्स शुरू करने की जरूरत बतायी. काराकाट से भाकपा माले सांसद राजाराम सिंह ने कहा कि वह स्वास्थ्य सेवाओं के कागजी आंकड़ों को सच मानें या खुद अनुभव को, इसे लेकर उलझन में हैं.
उन्होंने कहा कि जिला अस्पतालों में भी लगभग सभी प्रकार के आकस्मिक इलाज की व्यवस्था होनी चाहिए तथा हर बीमारी के लिए अलग-अलग चिकित्सक होने चाहिए.देश में हृदय, गुर्दा (किडनी) रोगियों की बढ़ती संख्या का हवाला देते हुए उन्होंने जिला अस्पतालों में भी इसके इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने का सरकार से अनुरोध किया.
उन्होंने गया, रोहतास और कुछ अन्य जगहों पर भी एम्स बनाने की वकालत की, ताकि गरीब मरीजों को समुचित इलाज मिल सके. उन्होंने नर्स एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सरीखे कोरोना योद्धाओं के मानदेय में बढ़ोतरी न किये जाने को लेकर भी सरकार पर तंज कसा.