नीतीश कुमार की कांग्रेस से नाराजगी के बीच बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है. कांग्रेस हाई कमान ने दो दिन पहले ही सीनियर नेताओं के साथ दिल्ली में बैठक की है. इस बैठक के बाद अब जदयू की शुक्रवार को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही है. दो दिनों तक चलने वाली जदयू की इस बैठक पर पूरे देश की सियासी निगाहें भी टिकी हुई है.चर्चा है कि नीतीश कुमार इस बैठक में एक बड़ा फैसला ले सकते हैं.
हालांकि, नीतीश कुमार ने इससे इंकार करते हुए कहा कि यह एक रुटीन बैठक है. प्रतिवर्ष हम लोगों की बैठक होती है. यह बैठक भी उसी की एक कड़ी है. इधर, जदयू की बैठक को लेकर बिहार में सियासी हलचलें तेज हो गई है. सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार इस बैठक में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अपने साथियों के साथ सीट शेयरिंग पर बात कर सकते हैं. कहा जा रहा है कि इस बैठक में ही लोकसभा चुनाव में जदयू अपनी हिस्सेदारी को अन्तिम रुप दे सकती है.
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दरअसल, कुछ दिन पहले ही दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक हुई थी. इस बैठक के बाद आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने कहा था कि लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सबसे पहले बिहार में सीट शेयरिंग पर आम सहमति बनेगी. राजनीतिक पंडित दिल्ली में जदयू की इस बैठक को इससे जोड़कर देख रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि इससे पहले कांग्रेस ने बिहार में 40 लोकसभा सीटों को लेकर अपने साथियों के साथ बैठक कर ली है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने इसको लेकर अब अपना मन भी बना लिया है कि पार्टी बिहार के 40 लोकसभा सीटों के कौन कौन सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
जदयू सूत्रों का कहना है कि दिल्ली की बैठक में पार्टी की ओर से सीट शेयरिंग पर भी चर्चा होगी. कहा जा रहा है कि जदयू की बैठक में इसपर आम सहमति बनने के बाद इसपर कांग्रेस और आरजेडी के साथ बैठक होगी. इसी बैठक में इसपर अन्तिम मुहर लगेगी. बताते चलें कि बिहार में इंडिया गठबंधन में सबसे ज्यादा सीट जदयू के पास ही है. कांग्रेस के पास एक सीट है. जबकि आरजेडी के पास कोई सीट नहीं है. आरजेडी सूत्रों का कहना है कि महागठबंधन में जदयू और आरजेडी बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
यानी 16-16 या फिर 17-17 सीटों पर जदयू और आरजेडी बिहार में लोकसभा 2024 का चुनाव लड़ेगी. वहीं, कांग्रेस 5 या 6 सीट और भाकपा माले एक सीट देने की बात चल रही है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस इसके लिए राजी नहीं है. क्योंकि कांग्रेस पिछली बार बिहार में नौ सीट पर चुनाव लड़ा था और कांग्रेस इतनी सीट ही लड़ना चाहती है. बताया जा रहा के कि इस पर 29 दिसंबर को दिल्ली में कांग्रेस की बैठक में चर्चा सीटों को लेकर मामला उठ सकता है.
बता दें कि इसके पहले जदयू लगातार ये कहता आया है कि जल्दी से जल्दी सीट बटवारा कर लिया जाए, ताकि चुनाव के मैदान में उतरने की तैयारी शुरू किया जा सके. लेकिन, कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव में व्यस्त थी जिसकी वजह से इसमें थोड़ी देरी हुई. परन्तु अब इस पर कभी भी मुहर लग सकती है. बताया जा रहा है कि आरजेडी और जदयू ने लगभग तय कर लिया है कि बिहार में रीजनल पार्टी फ्रंट फुट पर रहेगी और कांग्रेस को उसके पीछे ही आना पड़ेगा और इसी फॉर्मूले के तहत ये खबर आ रही है.
गौरतलब है कि महागठबंधन में फिलहाल बिहार में जदयू के 16 सांसद हैं और कांग्रेस के पास एक सांसद है. लेकिन आरजेडी के पास एक भी सांसद नहीं है. लेकिन, फॉर्मूले में बिहार विधान सभा की सीटों के आधार पर फैसला किया गया है और इसी के तहत सीटों का फॉर्मूला तय किया गया है. बता दें कि बिहार विधान सभा में RJD के 80 विधायक हैं और वह सबसे बड़ी पार्टी है. जदयू के 43 विधायक है और वह दूसरे नंबर पर भाजपा के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस के 19 विधायक हैं जबकि माले के12 और सीपीआई और सीपीएम के 2-2 एमएलए हैं.