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Lok Sabha Election: बिहार में सिकुड़ रही कांग्रेस, 44 सीटों से घटकर एक सीट पर पहुंची…

Lok Sabha Election 2024 आजादी के बाद लोकतांत्रिक राजनीति में प्रवेश करने वाली कांग्रेस के अविभाजित बिहार में सर्वाधिक सांसद होते थे. कांग्रेस को 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पांव बिहार से उखड़ गये थे.

शशिभूषण कुंवर

लोकतंत्र के 75 सालों की यात्रा करते हुए बिहार में कांग्रेस की साख अब लाज बचाने जैसी हो गयी है. आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में होने वाला है. अब इस साख को बचाने की चुनौती कांग्रेस पर आ गयी है. आजादी के बाद लोकतांत्रिक राजनीति में प्रवेश करने वाली कांग्रेस के अविभाजित बिहार में सर्वाधिक सांसद होते थे. कांग्रेस को 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पांव बिहार से उखड़ गये थे. बिहार में 40 सीटों से चुनावी यात्रा करने वाली कांग्रेस अब एक सीट पर सिमट गयी है.

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1951 में पहली लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अविभाजित बिहार में 44 सीटों में से 36 सीटों पर सफलता मिली. लोकसभा चुनाव 1957 में अविभाजित बिहार की 45 लोकसभा की सीटों में कांग्रेस को 34 सीटों मिली. 1962 में अविभाजित बिहार की 53 लोकसभा में से कांग्रेस की झोली में 41 सांसद मिले थे. इसी प्रकार 1967 की लोकसभा की 53 सीटों में कांग्रेस की सीटें घटकर 38 रह गयी.

कांग्रेस को 1971 की लोकसभा चुनाव में एक बार फिर 53 सीटों में अविभाजित बिहार की 40 सीटें प्राप्त कर ली. बिहार में कांग्रेस के लिए 1977 की लोकसभा चुनाव ने चूले हिला दी. राज्य की 54 लोकसभा सीटों में कांग्रेस के हिस्से एक भी सीट नहीं मिली. यहां से कांग्रेस की सीटों में चढ़ाव-उतार होता रहा.

1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 54 लोकसभा सीटों में बाउंसबैक किया और 32 सीटें अपनी झोली में डाल ली. 31 अक्तूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उसके बाद 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 54 सीटों में से 48 सीटों पर सफलता मिली. यह सफलता उसकी अंतिम बड़ी जीत के रूप में दर्ज की गयी.

जब 1989 में लोकसभा चुनाव हुआ तो बिहार की 54 सीटों में कांग्रेस की लाज चार सांसदों ने बचायी. इसमें बिहार की नालंदा और किशनगंज जबकि झारखंड क्षेत्र से सिंहभूमि और लोहरदगा सीट कांग्रेस के पास रही. बिहार की सत्ता में 1990 में लालू प्रसाद के दौर के बाद से 1991 में 10 वीं लोकसभा का आम चुनाव हुआ था.

तब बिहार की बेगूसराय सीट से कांग्रेस की कृष्णा शाही चुनाव जीतकर कांग्रेस की शाख बचा ली. 11 वीं लोकसभा चुनाव 1996 में हुआ तो बिहार में कांग्रेस की लाज तारिक अनवर ने कटिहार की सीट से और झारखंड क्षेत्र की राजमहल सीट से थामस हंसदा ने बचायी. 1998 में 12 वीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बिहार की पांच सीटों पर सफलता मिली. इसमें मधुबनी, बेगूसराय, कटिहार के अलावा सिंहभूमि व लहोरदगा सीट हाथ लगी.

13 वीं लोकसभा चुनाव 1999 में कराया गया तो कांग्रेस को औरंगाबाद, बेगूसराय, राजमहल व कोडरमा सीट हाथ लगी. बिहार बंटवार के बाद 2004 में 14 वीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मधुबनी, सासाराम और औरंगाबाद सीट जीत पायी. 15 वीं लोकसभा चुनाव 2009 में किशनगंज से मो असरारुल हक और सासाराम से मीरा कुमार ने सफलता दिलायी.

इसके बाद 16 वीं लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस को किशनगंज से मो असरारूल हक और सुपौल से रंजीत रंजन ने जीत दिलायी. 17 वीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ एकलौते सांसद किशनगंज से डा मो जावेद को ही सफलता मिली.

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