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Lok Sabha Election: बिहार में 17 सीटों पर 15 साल से जीत रहे 11 जातियों के ही उम्मीदवार

Lok Sabha Election बिहार की कुल 40 में से 17 सीटों पर 11 जातियों के प्रत्याशियों का ही दबदबा रहा. इन तीन चुनावों में चार सीटों पर राजपूत, तीन पर यादव व दो सीटों पर भूमिहार जाति के उम्मीदवार ही जीत कर आये

मनोज कुमार, पटना

Lok Sabha Election 2008 में लोकसभा चुनाव के लिए नये सिरे से परिसीमन हुआ और 2009 का लोकसभा चुनाव इसी नये परिसीमन के आधार पर कराया गया. 2009 अब तक तीन लोकसभा चुनाव हुए. इसमें बिहार की कुल 40 में से 17 सीटों पर 11 जातियों के प्रत्याशियों का ही दबदबा रहा. इन तीन चुनावों में चार सीटों पर राजपूत, तीन पर यादव व दो सीटों पर भूमिहार जाति के उम्मीदवार ही जीत कर आये. ब्राह्मण व कायस्थ उम्मीदवार एक-एक सीट पर 15 वर्षों से जीत रहे हैं. वहीं, कोइरी, कुर्मी, पासवान, निषाद, मांझी व वैश्य जाति के उम्मीदवारों का एक-एक सीट पर वर्चस्व है. राज्य की लगभग 40 फीसदी सीटों पर 11 जातियों के उम्मीदवार ही पिछले तीन चुनावों से जीतकर संसद पहुंच रहे हैं.महाराजगंज, औरंगाबाद, आरा व वैशाली में राजपूतों का दबदबा

महाराजगंज से 2009 में उमाशंकर सिंह ने जीत दर्ज की थी. इस सीट पर 2014 से अब तक भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल का कब्जा है. वैशाली में 2009 में आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह, 2014 में लोजपा के रामा सिंह व 2019 में वीणा देवी ने यहां से जीत दर्ज की. औरंगाबाद सीट से 2009 से भाजपा के सुशील सिंह चुनाव जीत रहे हैं. आरा से 2009 में जेडीयू की मीणा सिंह व इसके बाद 2014 और 2019 में भाजपा के आरके सिंह चुनाव जीतने में सफल रहे.

मधेपुरा, मधुबनी व पाटलिपुत्र में यादव उम्मीदवार ही जीतते रहेमधेपुरा में वर्ष 2009 में जदयू से शरद यादव, 2014 में राजद से पप्पू यादव और 2019 में जदयू से दिनेशचंद्र यादव ने जीत दर्ज की. मधुबनी में 2009 व 2014 में भाजपा से चौधरी हुकुमदेव नारायण यादव व 2019 में भाजपा से ही अशोक कुमार यादव ने जीत दर्ज की. पाटलिपुत्र से 2009 में जदयू से रंजन यादव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को शिकस्त दी. 2014 से अब तक भाजपा के रामकृपाल यादव यहां से चुनाव जीत रहे हैं.तीन चुनावों में नवादा व मुंगेर से भूमिहार प्रत्याशी बने विजेता

नवादा में वर्ष 2009 में बीजेपी के भोला सिंह और 2014 में गिरिराज सिंह ने जीत दर्ज की थी. 2019 में लोजपा के चंदन सिंह यहां से जीते. मुंगेर में 2009 व 2019 में ललन सिंह ने जीत दर्ज की थी. 2014 में यहां से सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी जीतने में सफल रहीं.

नालंदा से कुर्मी उम्मीदवार को ही मिलती है जीतनालंदा सीट से कौशलेंद्र कुमार जदयू के सांसद हैं. वे कुर्मी जाति से आते हैं. 2009 से अब तक कौशलेंद्र कुमार का इस सीट पर कब्जा है. इससे पहले 2004 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां से जीत दर्ज की थी.काराकाट: कुशवाहा लैंड के नाम से मशहूरकाराकाट लोकसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आया. 2009 में यहां से जदयू के महाबली सिंह और 2014 में रालोसपा से उपेंद्र कुशवाहा ने जीत दर्ज की. 2019 में महाबली सिंह ने जदयू से दोबारा जीत दर्ज की. महाबली सिंह कुशवाहा जाति से आते हैं. इस बार यहां से उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के प्रत्साशी हैं.दरभंगा सीट से ब्राह्मण उम्मीदवार बनते रहे हैं विजेजादरभंगा से वर्ष 2009 और 2014 में भाजपा से कीर्ति आजाद ने जीत दर्ज की. 2019 में यहां से गोपालजी ठाकुर विजय हासिल करने में सफल रहे. दोनों ब्राह्मण हैं.पटना साहिब: तीन चुनावों से लगातार जीत रहे कायस्थ प्रत्याशी

भाजपा के टिकट पर वर्ष 2009 और 2014 में शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से सांसद बने. 2019 में यहां से भाजपा उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद ने जीत दर्ज की. रविशंकर प्रसाद इस बार भी मैदान में हैं.मांझी के हाथ में रही गया की पतवारगया से कभी हरिलाल मांझी तो कभी विजय मांझी को मिली जीत

गया लोकसभा से वर्ष 2009 और 2014 में भाजपा के हरिलाल मांझी ने जीत दर्ज की. 2019 में जदयू के विजय कुमार मांझी यहां से जीतने में सफल रहे.मुजफ्फरपुर में निषाद राजसहनी प्रत्याशियों के लिए लक्की है मुजफ्फरपुर सीट

मुजफ्फरपुर में 2009 में जदयू से कैप्टेन जयनारायण निषाद ने जीत दर्ज की. 2014 व 2019 में उनके बेटे अजय निषाद ने भाजपा के टिकट से इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा.

पश्चिम चंपारण: 2009 से अब तक संजय जायसवाल ही जीतेपश्चिम चंपारण लोकसभा सीट से वर्ष 2009 से अब तक भाजपा के संजय जायसवाल चुनाव जीत रहे हैं. भाजपा ने इस बार भी संजय जायसवाल पर ही दांव लगाया है.समस्तीपुर से चुने जा रहे पासवान

समस्तीपुर में 2009 में जदयू से महेश्वर हजारी, 2014 व 2019 में लोजपा से रामचंद्र पासवान ने जीत दर्ज की. रामचंद्र पासवान का कुछ ही महीने बाद निधन हो गया. उपचुनाव में उनके बेटे प्रिंस पासवान ने जीत दर्ज की.

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