एमबीबीएस छात्रों की दक्षता बढ़ाने के लिए एमबीबीएस कोर्स में कई तरह के बदलाव किये गये हैं. इसमें पहले चरण में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व अनुमंडलीय अस्पतालों के तहत फैमिली एडाप्टेशन (परिवार को गोद लेना) के लिए उन पर 67 घंटे के अध्ययन के साथ पूरी रिपोर्ट अपने विभागाध्यक्ष को सौंपनी होगी. साथ ही मेडिकल छात्रों को छोटे स्वास्थ्य केंद्रों पर एक परिवार को गोद लेकर उन पर विस्तृत से स्वास्थ्य संबंधी अध्ययन करना होगा.
अस्पतालों में टास्क सौंपने की प्रक्रिया शुरू
नेशनल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एनएमसी) की ओर से जारी किये गये नये नियम के बाद शहर के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच और पटना एम्स में एमबीबीएस छात्रों को यह टॉस्क सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. आइजीआइएमएस के प्रिंसिपल डॉ रंजीत गुहा व पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ विद्यापति चौधरी ने बताया कि नये पाठ्यक्रम की जानकारी नये एमबीबीएस छात्रों को दे दी गयी है.
छात्रों का ग्रामीण आबादी से संपर्क बढ़ाना है मकसद
प्रिंसिपल ने बताया कि इस अध्ययन का मकसद छात्रों का ग्रामीण आबादी से संपर्क बढ़ाना है. पहले चरण में अर्ली मेडिकल एक्सपोजर के लिए सीमित घंटे तय किये गये हैं. इस दौरान तीन विषयों में बायोकेमिस्ट्री, ह्यूमन एनाटॉमी और फिजियोलॉजी का अध्ययन करना होगा. हर छात्र को छोटे स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर एक परिवार को गोद लेकर स्वास्थ्य संबंधित अध्ययन करना होगा.
दूसरे चरण में पेंडेमिक मॉड्यूल
नये कोर्स के दूसरे चरण में भविष्य में कोरोना जैसी चुनौतियों से निबटने में डॉक्टरों को सक्षम बनाने के लिए एमबीबीएस में 16 दिसंबर, 2023 से अधिकतम 15 जनवरी, 2025 में एक नया कोर्स पेंडेमिक मॉड्यूल डाला गया है. इसके लिए 28 घंटे की पढ़ाई अनिवार्य है. 13 माह के एमबीबीएस के दूसरे चरण में 660 घंटे क्लीनिकल कोर्स के हैं. इसी क्रम में तीसरे चरण में 600 घंटे क्लीनिकल पोस्टिंग रखी गयी है. तीसरा चरण 10.5 महीने का होता है, जो 16 जनवरी 2025 से 30 नवंबर 2025 तक चलेगा.